श्रद्धापूर्वक मनाया गया गुरू अमरदास महाराज का स्मृति दिवस
महान समाज सुधारक थे गुरू अमरदास-महंत रंजय सिंह
हरिद्वार, 18 सितम्बर। सिख धर्म के तीसरे गुरु गुरु अमरदास महाराज के स्मृति दिवस पर कनखल स्थित तपस्थान गुरूद्वारा तीजी पातशाही में संत समाज और श्रद्धालु भक्तों ने उन्हें श्रद्धा पूर्वक नमन किया। गुरु अमरदास महाराज के स्मृति दिवस के साथ ही गुरूदारे के ब्रह्मलीन महंत साधु सिंह महाराज, महंत रणवीर सिंह महाराज और महंत जसविंदर सिंह सोढ़ी महाराज की पुण्यतिथी भी श्रद्धापूर्वक मनायी गयी। इस अवसर पर श्री गुरु ग्रंथ साहब के अखंड पाठ की अरदास की गई और भोग लगाया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि गुरु अमरदास ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अलख जगाई। उन्होंने कनखल स्थित सती घाट पर तपस्या की और सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति को बंद कराया। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के पूर्व सचिव महंत बलवंत सिंह महाराज ने कहा कि गुरुओं की वाणी हमेशा प्रासंगिक रहेगी। सिख धर्म के सभी गुरुओं ने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया और सनातन धर्म की रक्षा की। तीजी पातशाही तपस्थल गुरु अमरदास गुरुद्वारा के महंत रंजय सिंह महाराज ने कहा कि. गुरू अमरदास महान समाज सुधारक थे। गुरु अमरदास महाराज ने अपने जीवनकाल में 22 बार हरिद्वार की यात्रा की और कनखल स्थित सती घाट पर तपस्या कर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जनता को जागरूक किया।
बीबी बिनिंदर कौर सोढ़ी ने कहा कि गुरु अमरदास ने सामाजिक समरसता के लिए लंगर प्रथा की शुरुआत की। स्वामी ऋषिश्वरानंद ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत जसविंदर सिंह सोढ़ी त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। समाजसेवी अतुल शर्मा व नीरव साहू ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।
इस अवसर पर महंत जसविंदर सिंह, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत दुर्गादास, महंत नारायण दास पटवारी, महंत बलवंत सिंह, महंत खेम सिंह, महंत मोहन सिंह, महंत प्रह्लाद दास, महंत तीरथ सिंह, स्वामी जित्वानंद, महंत राघवेंद्र दास, महंत हर्षवर्द्ध्रन, महंत श्यामप्रकाश, स्वामी प्रकाशानंद, महंत मनोज महाराज, स्वामी शिवम गिरी, पूर्व विधायक संजय गुप्ता, पूर्व राज्यमंत्री डा.संजय पालीवाल, समाजसेवी अतुल शर्मा, नीरव साहू, पंडित अधीर कौशिक, सरदार हरदीप सिंह, सरदार रमणीक सिंह, ज्ञानी इंद्रजीत सिंह बिट्टू, अमृत कौचर, मिंटू पंजवानी सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महंत तथा अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।