हरिद्वार 17 जुलाई 2024 को भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से ज्ञान की वर्षा करते हुए श्री भोलानन्द सन्यास आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 परम पूज्य स्वामी तेजसानन्द जी महाराज ने कहा मनुष्य को कभी भी मनकी इंद्रियों के वशीभूत होकर बहाव में नहीं बहना चाहिए मन बड़ा चंचल होता है और सही मार्ग से भटका देता है गुरु के बताए मार्ग पर चलते हुए अपनी ज्ञान इंद्रियों का प्रयोग कर हरि भजन के वसीभूत होकर इस मनुष्य जीवन को कल्याण की ओर ले जाना चाहिए संत संगत गुरुजनों का सानिध्य भक्तों को धर्म के मार्ग से सदैव कल्याण की ओर ले जाते हैं जितना समय मनुष्य पाश्चात संस्कृति के मनोरंजन में लगता है उतना समय अगर धर्म कर्म के कार्यों में गुरुजनों की संगत में लगाये तो उसका कल्याण संभव है हरि भजन कथा उपदेश धर्म कर्म और गुरुजनों की अच्छी संगत मनुष्य का लोक और परलोक दोनों सुधार देते हैं
मनुष्य को मन की इंद्रियों के वशीभूत न होकर हरि भजन के वशीभूत होना चाहिए महामंडलेश्वर तेजसानन्द जी महाराज
