चिन्मय कुटी हुआ 45वाँ वार्षिक अधिवेशन

हरिद्वार 10 मार्च 2025 (

Brahmpuri स्थित चिन्मय कुटी के 45 वें वार्षिक अधिवेशन में परम पूज्य स्वामी जी श्री श्री 108 स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज की बरसी चिन्मय कुटी ब्रह्मपुरी हरिद्वार में मनाई गई बरसी के उपलक्ष में बोलते हुए परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री चिद्घनानन्द सरस्वती जी महाराज (सुभाष गोयल ) ने कहां गुरु हमारे लियें अंधकार में प्रकाश मान सूर्य की तरह होते हैं जिनके ज्ञान रूपी प्रकाश हमारे भाग्य का उदय कर देता है और गुरुजनों द्वारा दिया गया सारस्वत ज्ञान हमारे भाग्य का उद्धार कर देता है आपको ज्ञात होगा कि श्री रामायण में भगवान राम तथा मल्लहा के बीच नदी पार कराने का संवाद और उसका उदाहरण बड़ा ही भावपूर्ण है भगवान राम के चरण पखारने के उद्देश्य से नाभिक चालाकी से कहता है मैं आपको नदी तो पार करवा दूंगा किंतु पहले मुझे अपने चरण कमल पखारने की अनुमति दें क्योंकि मैंने सुना है आपके पैर के अंगूठे की ठोकर लगने से एक पत्थर शीला सुंदर नारी में तब्दील हो गई मेरे कुटुंब की यह अकेली नाव पालनहारी है अगर यह सुंदर नारी में तब्दील हो गई तो मैं क्या करूंगा यह सुनकर राम जी मुस्कुराए और उन्होंने नाभिक को एक लंबे संवाद के बाद पैर पखारने की अनुमति दी तब नाभिक ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर भगवान राम के पैर पखारे और जो जल पैर धोने के बाद इस्तेमाल हुआ था उसे गट-गट करके पी गया और भगवान राम माता जानकी और लखन को अपनी नाव में बैठ कर नदी पार कार्रवाई जब राम जी पारिश्रमिक तौर पर उसे नाव पार कराई की कीमत एक अंगूठी के रूप में देने लगे तो नाभिक ने क्या सुंदर प्रस्तुति उसे समय प्रस्तुत की और अपने भाव राम जी के सामने उद्गार किये तुम भी नाविक मैं भी नाविक फिर काहे की उतराई मैंने आपको यहां नाव में पार कराया है जब मैं भवसागर के तट पर आऊंगा उस समय पार करने के लियें मुझे अपनी नाव में बैठा कर भवसागर पार कराईयो यह है एक भक्त के मन का सच्चा भाव भक्ति भी हो गई और भवसागर पार भी हो गये इस पृथ्वी लोक पर सतगुरु ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में अवतरित होते हैं जव आप उनके आश्रम कुटिया में जाकर दान धर्म सत्कर्म करते हैं उसका मोल सतगुरु आपको परलोक जाते समय चुकाते हैं और आपको ज्ञान रूपी गंगा में स्नान करा कर गुरुदेव ही उंगली पड़कर भवसागर पार करा ते हैं सतगुरु से बड़ा इस पृथ्वी लोक पर भक्तों का कोई और मार्गदर्शक हो ही नहीं सकता ऐसे ही परम विद्वान तपस्वी ज्ञान मूर्ति संत थे परम पूज्य स्वामी श्री श्री 108 चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज उनके ज्ञान का प्रताप आज भी भक्तजनों के बीच सुख शांति और समृद्धि के रूप में फलीभूत हो रहा है इस अवसर पर स्वामी पूर्णानन्द गिरि महाराज साध्वी सच्चिदानन्द सरस्वती उर्फ़ जीन्नत महंत जय रामदास महाराज कोतवाल कमल मुनि महाराज देहरादून बाबा रमेशानन्द महाराज श्रीमती अंजू अरोड़ा अजय गुप्ता अजय ग्रोवर बबलू अंबिका आलोक शर्मा आनंद जैन आशुतोष गर्ग बलवीर शर्मा नरेश शर्मा बलजिंदर रमन गोयल ओम प्रकाश गोयल जगदीप नंदलाल सेठी रमेश सेठी जवाहर दास सुखपाल सिंह विजय मोगा कमल दर्शन कारण सेठी सागर शेट्टी किरण शर्मा कमलेश ग्रोवर नरेश मोगा प्रज्ञा लक्ष्मी गोयल राधा बिष्ट संजीव मोगा कैलाश बब्बर सीमा गुंबर सीमा मोगा अशोक कुमार समान केशव ग्रोवर उत्सव बहल शीतल सुरेंद्र मोगा जितेंद्र ग्रोवर सुशील ललित अरोड़ा तरसेम सिटी संदीप मोगा वतन सिटी अभिषेक गर्ग गौरव गर्ग सविता ढींगरा ललित अजय अंबिका अजय कुमार श्री लज्जा सिंह धीरज जी सहित भारी संख्या में संत व भक्तगण उपस्थित थे आयोजित विशाल भंडारे में सभी ने प्रसाद ग्रहण किया चिन्मय कुटी ब्रह्मपुरी हरिद्वार श्री अजय गुप्ता सुपुत्र श्री लज्जा शंकर गुप्ता श्रीमती दया गुप्ता (दयाकर) की निजी संपत्ति है उनकी ओर से स्थान भंडारे के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

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