निगम कुटीर आश्रम में शिव महापुराण दिव्य पावन कथा का हुआ समापन

पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन निगम बोध तीर्थ जी महाराज पृथ्वी लोक पर ज्ञान की एक गंगा थे महंत भीमदेव महाराज हरिद्वार 21 फरवरी 2025 भूपतवाला रानी गली स्थित निगम कुटीर आश्रम में शिव महापुराण दिव्य पावन कथा का समापन हुआ इस अवसर पर बोलते हुए आश्रम के व्यवस्थापक महंत भीमदेव महाराज ने कहा शिव महापुराण कथा मनुष्य कल्याण जीवन सुधा रस है जो भी इस पावन कथा को अपने घर गुरु धाम में आयोजित कराता हैl

उसका लोक एवं परलोक दोनों सुधर जाते हैं उसके जीवन में सुख शांति समृद्धि तथा वैभव की कोई कमी नहीं रहती भगवान भोलेनाथ की उस पर अपार कृपा बरसती है स्वामी महंत भीमदेव महाराज ने कहा विश्व प्रसिद्ध पावन नगरी हरिद्वार में जो भी अपने घर की खुशहाली अपने पितृ पूर्वजों की स्मृति में पावन कथाओं का आयोजन कराता है उसके जीवन की भगवान श्री हरि संपूर्ण इच्छाये पूर्ण करते हैं पावन नगरी हरिद्वार में कदम-कदम पर संत महापुरुषों के श्री मुख से ज्ञान की गंगा बहती है इसी पावन धरा पर मां भागीरथी की पावन धारा में स्नान करने मात्र से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है मां गंगा की कृपा से उसके जीवन में धन-धान्य की वर्षा होती है हमारे परम पूज्य गुरुदेव दण्डी स्वामी निगमबोध तीर्थ जी महाराज इस धरती लोक पर ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे उनके ज्ञान का प्रताप आज भी आश्रम में तथा भक्तजनों के बीच सुख शांति तथा समृद्धि के रूप में विद्यमान है गुरुदेव ने भक्तजनों के बीच धर्म एवं संस्कृति एवं ज्ञान की अलख जगाते हुए विश्व भर में धर्म एवं संस्कृति सनातन की पताका फहराई परम पूज्य गुरुदेव ने धर्म कर्म पूजा पाठ यज्ञ अनुष्ठान के माध्यम से भक्तों को कल्याण का मार्ग दिखाया हम उन्हीं के पद चिन्हों का अनुसरण करते हुए आने जाने वाले भक्त जनों की सेवा में लगे हुए हैं l

परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री निगमबोध तीर्थ जी महाराज इस पृथ्वी लोक पर एक विशाल ज्ञान की गंगा थे उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान करने के बाद भक्त अपने जीवन को धन्य तथा कृतार्थ किया करते थे इस अवसर पर कनाडा से स्वामी सत्य प्रकाश महाराज डॉक्टर प्रीति जी महाराज के साथ-साथ नागपुर से शिव महापुराण कथा का आयोजन करने वाले भक्त भी पधारे हुए थेl साथ ही वरिष्ठ समाजसेवी विकास गुप्ता ने तन मन धन से आश्रम की व्यवस्था को संभाल रखा था l

इस अवसर पर एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें हरिद्वार के अनेकों मठ मंदिर आश्रमों से आये संत महापुरुषों ने भाग लिया

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