श्री मंगल आश्रम भूपतवाला में हुआ गुप्त लेकिन सफल भंडारा — बिना प्रचार के हुई प्रभु की कृपा 🔱

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

आज श्री मंगल आश्रम के पावन प्रांगण में एक अलौकिक आयोजन हुआ — बिना किसी प्रचार-प्रसार के, न आमंत्रण, न बैनर, न ही ढोल-नगाड़ा — फिर भी प्रभु की इच्छा से भंडारे का आयोजन न केवल सफल हुआ, बल्कि भक्तों की भारी उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि जहाँ सच्ची भक्ति होती है, वहाँ आयोजन नहीं, आह्वान होता है।

🌿 स्वामी सुरेशाननंद सरस्वती का कथन — “यह प्रभु की इच्छा थी”
आश्रम के सेवाधारी और तपस्वी महंत स्वामी सुरेशाननंद सरस्वती महाराज का स्पष्ट कहना था —
“यह कोई मानव द्वारा रचा आयोजन नहीं था, यह तो प्रभु का संकेत था। बिना बुलाए प्रभु के सेवक यहाँ पहुँचे, और सेवा का सौभाग्य पाया। यह आत्मा से आत्मा की पुकार थी, जो केवल भक्ति से जुड़ी होती है, शोर-शराबे से नहीं।”

🕉 संतवाणी का सजीव उदाहरण
यह आयोजन संतों के इस अमूल्य विचार को सिद्ध करता है:
“जहाँ धर्म है, वहाँ आयोजन नहीं होते; वहाँ प्रभु स्वयं आते हैं।”

“बिनु हरि कृपा न मिलहिं संता, सत्संगति तें होत अनंता।”
(हरि की कृपा बिना संत नहीं मिलते, और संतों की संगति से ही जीवन सार्थक होता है।)

📿 हिन्दू समाज की एकता का प्रतीक
इस भंडारे ने यह भी सिद्ध किया कि हिंदू समाज में जब तक संतों की छाया है, तब तक कोई भी आयोजन प्रचार का मोहताज नहीं होता।
हर परिवार, हर भक्त अपने आप चलकर आया — जैसे कोई अदृश्य ऊर्जा उन्हें बुला रही हो।
यह आज के समय में एक संदेश है —
“हमें धर्म की जड़ों से जुड़ना होगा, प्रचार से नहीं, व्यवहार और आचरण से।”

🌸 भावी पीढ़ियों के लिए संदेश
आज के इस युग में, जब धर्म के नाम पर केवल शोर-शराबा और दिखावा रह गया है, तब श्री मंगल आश्रम में हुआ यह मौन भंडारा एक क्रांतिकारी आध्यात्मिक विचार है। यह हमें याद दिलाता है कि —

“धर्म का प्रचार नहीं, अनुभव होना चाहिए।”

यह आयोजन यह संकेत देता है कि हिंदू परिवार जब तक संतों के विचारों और प्रभु की मर्यादा से जुड़ा रहेगा, तब तक कोई शक्ति उसे विचलित नहीं कर सकती।
आओ, हम सब अपने धर्म, संस्कृति और संतवाणी से फिर से जुड़ें — बिना किसी आग्रह, बिना किसी अहंकार के।

🔱 जय श्रीराम | जय संतवाणी | जय सनातन धर्म 🔱

रिपोर्ट: दीपांशी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *