💥उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी ने दीप प्रज्वलित कर किया 36 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का विधिवत उद्घाटन
🌸गुरू माँ हंसा जयदेव जी का पावन सान्निध्य
कमल शर्मा ब्यूरो चीफ
उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी ने कहा कि यह क्षण अदभुत है, यह क्षण दैविय है; यह क्षण डिवाइन है, यह क्षण हैप्पीनेस प्रदान करने वाला है। उन्होंने ऊँ, शान्ति मंत्र और श्री गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण कर मंत्रों की महिमा बड़ी ही सरलता से साझा करते हुये कहा हम भारतीय संस्कृति में पंच तत्वों के शान्ति की प्रार्थना करते हंै। उन्होंने कहा कि परमार्थ का अर्थ है परम – अर्थ अर्थात यह जीवन के गहरे अर्थ को दर्शाता है।
परमार्थ निकेतन, माँ गंगा व भगवान शिव के अद्भत संयोग की धरती है। साथ ही यह शरीर, मन और आत्मा के मिलन की भी धरती है। इन सात दिनों में यहां पर आपको वे डिवाइन तरंगे मिलेगी जिससे आपके आन्तरिक वातावरण में विलक्षण परिवर्तन होगा। इस सात दिनों में आप अपने आप से अपनी आत्मा से जुड़ कर स्वयं को गहराई से पहचान सकते हैं। इन सात दिनों में आप अपने आपको एक दूसरे स्तर पर; दैविय स्तर पर ले जा सकते हैं। योग का यह पथ आपके जीवन में अद्भुत परिवर्तन लेकर आयेगा।
यह आपके लिये गेमचेंजर होगा और आप यहां से योग के आइकाॅन बनकर जायेंगे। परमार्थ निकेतन, योग का प्रमुख केन्द्र है। यह दिव्य भूमि है, ऋषियों के तप व तपस्या की भूमि है; यह योग की असाधारण भूमि है। आप सभी यहां पर प्राणायाम, ध्यान व योग की विभिन्न विधाओं से गहराई से जुड़कर तनाव और टेंशन को दूर कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत का प्रत्येक नागरिक एक सैनिक है, स्कालर है और संत है। अगर आपको वसुधैव कुटुम्बकम् और सौहार्द का दर्शन करना है तो वह केवल परमार्थ निकेतन गंगा तट पर हो सकता है।
आप सभी का इन सात दिनों का अनुभव आपकी जिन्दगी को बदलने वाला होगा। मैं आप सभी का भारतीय संस्कृति, भारत भूमि, भगवान शिव की भूमि उत्तराखं़ड में अभिनन्दन करता हूँ। यह आप सभी की आत्मा, चित्त और चेतना को बदलने वाला महोत्सव है। उन्होंने सभी को नमस्कार! प्रणाम! कर ऊँ के उच्चारण के साथ अपना उद्बोधन पूर्ण किया।