💥सचिव ग्राम्य विकास, उत्तराखंड़ राधिका झा सपरिवार आयी परमार्थ निकेतन
💥गंगा आरती में किया सहभाग
🌺हिमालय के उत्पादों को वैश्विक स्तर तक ले जाने पर हुई चर्चा
ऋषिकेश, 27 मार्च। परमार्थ निकेतन में सचिव ग्राम्य विकास, उत्तराखंड राधिका झा अपने परिवार के साथ आयी। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से आशर्वाद लेकर गंगा आरती में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में केन्द्र व उत्तराखंड़ दोनों जगह संस्कारी सरकारें हैं जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए स्वरोजगार, रोजगार, ग्रामीण आवास, ग्रामीण कनेक्टिविटी, ग्राम विकास आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रही है और ग्रामीण विकास के लिये कृतसंकल्पित भी हैं।
स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड के मिलट्स को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिये सरकार अभिनव पहल और प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत मुख्य रूप से एक ग्रामीण देश है जिसकी दो तिहाई आबादी और 70 प्रतिशत कार्यबल ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था राष्ट्रीय आय में 46 प्रतिशत का अद्भुत योगदान प्रदान करती है।
स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड पहाड़ी राज्य है इसलिये यहां की समस्यायें भी पहाड़ जैसी है। उत्तराखंड को एक नये स्वरूप में सशक्त करने के लिये यहां की नारी शक्ति को सशक्त करना होगा। साथ ही पर्यावरण के अनुकूल विकास में योगदान प्रदान करना होगा। उत्तराखंड़ में नारी सशक्तीकरण और उन्हें मुख्यधारा में लाकर विकास की दिशा में एक आदर्श बदलाव किया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि सभी को मिलकर हिमालय के संवर्द्धन और संरक्षण के साथ ही अनवरत विकास के लिये कार्य करना होगा। विकास और आर्थिकी, पर्यावरण और पारिस्थितिकी, ईकोनामी और ईकोलाजी के लिये एकजुट होना होगा। हमारे राज्य की वायु, जल, मिट्टी और जंगलों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये हिमालय को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखना होगा।
प्रत्येक व्यक्ति को हिमालय का प्रहरी और पहरेदार बनना होगा क्योंकि हिमालय है तो हम है और हिमालय है तो गंगा है। दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है।
स्वामी जी ने कहा कि उत्तर भारत की अधिकांश नदियां हिमालय से ही निकलती है। बर्फ की सफेद चादरों से ढ़के हिमालय की गोद में भारत की आत्मा बसती है। हिमालय हमारी प्राणवायु का स्रोत ही नहीं बल्कि भारत की बड़ी आबादी की प्यास भी बुझाता है इसलिए तो उसे ’पृथ्वी का जल मीनार’ भी कहा जाता है। हम सभी को मिलकर पीस टूरिज्म, आॅक्सीजन टूरिज्म, योग और ध्यान टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा। हमें हिमालय के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखना होगा।
स्वामी जी ने राधिका झा को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।