हरिद्वार खड़खड़ी हिल बाईपास स्थित श्री साहेब धाम मे विशाल संत समागम आयोजित किया गया इस अवसर पर बोलते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष श्री महंत इन्द्रर दास जी महाराज ने कहा इस संसार में सतगुरु की महिमा बड़ी ही अपरंपार है गुरु ही भक्तों को उंगली पड़कर भवसागर पार कराते हैं गुरु प्रेम की वर्षा में तन मन भीग जाए शुष्क हृदय था मेरा कब से पल-पल सीचा जाए इस पृथ्वी लोक पर गुरु ही परमात्मा स्वरुप है तथा ईश्वर के प्रतिनिधि हैं गुरु के मार्गदर्शन के बिना अपने आराध्य तक पहुंच पाना बहुत कठिन है इसलिए गुरु वाणी का एक-एक शब्द सत्य है जिसमें भक्त का कल्याण छिपा होता है गुरु अमृत के समान कल्याणकारी वचनों से भक्तों के जीवन को भक्ति मार्ग से भवसागर पार ले जाते हैं गुरु सा कोई सानी नहीं गुरु सा ज्ञान का कोई दानी नहीं इस अवसर पर बोलते हुए श्री रविंन्द्र दास जी महाराज ने कहा धर्म कर्म और सतगुरु की संगत इस संसार में मनुष्य के कल्याण का माध्यम है गुरु भक्ति है औषधि सभी विकार मिटाए डूब रहे जो भवसागर में उतरत तैरत ही चले जाए अतः कहने का तात्पर्य यह है गुरु भक्ति एक औषधि के समान है जो हमारे अंतः करण के सभी विकारों को समूल नष्ट कर देती है हम सब दुःख रूपी भवसागर में डूबता जा रहे हैं गुरु की भक्ति रुपी औषधि का सेवन करने से निश्चित ही हम भवसागर पार हो जाएंगे और वाहेगुरु सतगुरु देव के बताएं मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को धन्य करते हुए अपने गुरु चरणों की महिमा का रसपान करते हुए गुरु के बताए मार्ग से भवसागर पार हो जाएंगे इस अवसर पर बोलते हुए सुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमाध्यक्ष श्री महंत रघुबीर दास जी महाराज ने कहा इस संसार में मनुष्य अपनी आत्मिक शांति के लिए तरह-तरह के सुख साधन एकत्रित करता है किंतु अंत समय जब आता है तो सबको बास काठ की सैया पर एक ही मार्ग से शमशान जाना है क्योंकि जन्म सत्य है और मृत्यु सत्य है बाकी सब मोह माया तथा माया का जाल है अतः मोह माया के इस जंजाल से अपने जीवन को बाहर निकालो और राम नाम के रसपान से अपने जीवन को धन्य कर लो राम नाम की महिमा ही तुम्हें भवसागर पार करायेगी नहीं तो बीच मझधार में रह जाओगे और साथ में यह सुख सुविधा साधन किसी काम नहीं आएंगे जब आप अचेत अवस्था में सैया पर लेट कर शमशान जाएंगे तो जाते-जाते यह सुख सुविधा साधन आपको खलने लगेंगे वह बास की सैयां आपको चूभने लगेगी और शमशान जाते-जाते आपको नानी याद दिला देगी इसलिए पश्चात संस्कृति त्यागो मोह माया के जाल से बाहर निकालो और कर्म के माध्यम से इस शरीर को ऐसा बना लो की आपको बास की लड़कियां शमशान जाते हुए चुभन ना दें और आप अपने जीवन में लिये गये राम नाम की धुन में मस्त होकर भवसागर के लिए भव यात्रा पर अपने इस मानव जीवन को धन्य करने के लिए निकले और आपके सत्कार के लिए उस लोक में भी देवदूत खड़े हो इस अवसर पर श्री महंत इंन्दर दास जी महाराज स्वामी श्री रविंद्र दास महाराज संत श्री दाताराम महाराज संत श्री गोपाल हरि महाराज महंत रघुबीर दास महाराज महंत बिहारी शरण महाराज महंत अंकित शरण महाराज महंत सूरज दास महाराज महंत कमलेशानंद सरस्वती महाराज महंत शुक्र गिरी महाराज में स्वामी श्रवण दास महाराज श्याम गिरी महाराज व0निमंत्रण वितरक कोतवाल कालीचरण महाराज सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे
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