ईश्वर की आराधना कभी मिथ्या नहीं जाती सनातन संस्कृति किसी से बैर रखना नहीं सिखाती श्री महंत श्यामसुंदर दास महाराज

हरिद्वार श्यामपुर स्थित श्री श्याम वैकुंठ धाम के परमाध्यक्ष 1008 श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए कहा ईश्वर की आराधना जीवन में कभी मिथ्या नहीं जाती जो ईश्वर में ध्यान रखते हैं ईश्वर कदम-कदम पर उनकी मदद के लिए किसी न किसी रूम में उन्हें खड़े नजर आते हैं ईश्वर भक्ति ही इस सृष्टि में मनुष्य के कल्याण का माध्यम है गुरुजन संत महापुरुषों की संगत इस मानव जीवन का सुधा रस है संत महापुरुषों से मनुष्य में उज्जवल संस्कारों का निर्माण होता है उनके ज्ञान की वृद्धि होती है साथ ही ईश्वर तक पहुंचाने का मार्गदर्शन प्राप्त होता है गुरु जीवन के सही मार्गदर्शक होते हैं गुरु शिक्षा दीक्षा के माध्यम से मनुष्य में उज्ज्वल चरित्र का निर्माण करते हुए उसके जीवन को कल्याण की ओर ले जाते हैं सनातन संस्कृति किसी को बैर रखना नहीं सिखाती सनातन संस्कृति विश्व की एक सबसे बड़ी परंपरा है जिसका निर्माण भगवान श्री राम माता जानकी भगवान श्री कृष्ण ने किया है सनातन वह संस्कृति है जिसे अपनाने के लिए आज संपूर्ण भारत की ओर देख रहा है कि वह उनका मार्गदर्शन करें इस संस्कृति की रक्षा के लिए तथा वचन पालन के लिए राजा हरिश्चंद्र ने अपना सर्वत्र निछावर कर दिया था प्राण जाए पर वचन न जाए यह हमारे रघुकुल के शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री भगवान राम माता जानकी द्वारा स्थापित की गई परंपरा की प्राचीन रीत है और हरि भजन ही मनुष्य के कल्याण का माध्यम है

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