हरिद्वार 30 सितंबर 2024 को मास ध्यान साधना शिविर एवं संत समागम का आयोजन शारदा पैलेस हरिपुर कला में महाऋषि मेहीँ अन्न क्षेत्र हरिद्वार के तत्वाधान में विगत एक माह से साधना शिविर निरंतर संचालित हो रहा था इसके समापन के अवसर पर एक विशाल संत समागम आयोजित किया गया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जूना अखाड़े के पूर्व सचिव श्री महंत देवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा ज्ञान कोई जाति या वर्णन नहीं देखा ज्ञान को ग्रहण करने की क्षमता होनी चाहिए l
ज्ञानी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का प्रकाश किसी भी जाति में किसी भी धर्म में उत्पन्न होने के बाद फैला सकता है धर्म और संस्कृति समाज के बने हुए दो भाग हैं किंतु हमारी सभ्यता और आचरण हमारे व्यक्तित्व का परिचय करता है धर्म और संस्कृति हमें सनातन एवं संस्कृति का अनुसरण कराती है इस अवसर पर बोलते हुए महंत रवि देव वेदांताचार्य जी महाराज ने कहा धर्म और संस्कृति हमें ईश्वर से जोड़ती है l
गुरु हमें आध्यात्मिक की शिक्षा देते हुए हमारे जीवन को आगे बढ़ने की दिशा प्रदान करते हैं हमें अच्छे बुरे की पहचान करते हैं और सबसे बड़ी बात हमें कल्याण का मार्ग दिखाते हुए हमारे आराध्य तक पहुंचने का मार्ग हमें दिखाते हैं संत महर्षि मेँहीँ परमहंस जी महाराज संपूर्ण विश्व को मिलजुल कर रहने का संदेश देने वाले एक परम विद्वान परम ज्ञानी संत के रूम में व्याख्यात है उन्होंने सभी धर्म को एकता के सूत्र में बंध कर चलने का संदेश दिया अपने देश की सभ्यता और संस्कृति को विश्व भर में पहुंचने का कार्य कियाl
इस प्रकार के ध्यान शिविर देश में सभ्यता और संस्कृति के साथ-साथ देश के उत्थान एवं कल्याण के साथ-साथ देश को दिशा प्रदान करने में भी सहायक होते हैं साधना योग अध्यात्म और विचारों का आदान-प्रदान हमारी सभ्यता और संस्कृति की झलक संपूर्ण विश्व को दिखलाता है इस अवसर पर पंकज दास सचिव ने कहा शिविर में सभी ने बड़े ही उत्साह के साथ भाग लिया इस प्रकार के शिविर अध्यात्म धर्म संस्कृति और देश को दिशा प्रदान करने के लिए सहायक होते हैं आध्यात्मिक जगत हमारे अंदर अच्छे संस्कार करने के साथ-साथ हमारे उज्जवल भविष्य का निर्माण करते हैं इस अवसर पर अध्यक्ष गुरु शरण महाराज कोषाध्यक्ष नन्दन बाबा गुरु नन्दन बाबा गुलशन बाबा शाहिद अनेकों संगठन व अन्न क्षेत्र के सदस्य तथा पदाधिकारी उपस्थित थे अनेकों संत महापुरुष तथा भक्तगण उपस्थित थे l
इस अवसर पर आध्यात्मिक जगत के साथ-साथ संस्कृत जगत सामाजिक जगत पर भी विश्लेषण किया गया तथा अनेकों भजन भी प्रस्तुत किये गए अन्न क्षेत्र के वह संगठन के सदस्यों द्वारा अनेको धार्मिक व सामाजिक कार्यों के साथ-साथ अन्न क्षेत्र का भी नियमित रूप से संचालन किया जाता है समापन के अवसर पर एक विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया l