प्राचीन मंदिरों के साथ-साथ यहाँ की सांस्कृतिक प्रदर्शनियाँ इस पवित्र भूमि को अद्वितीय बनाती हैं:के. श्रीनिवास प्रभु

हरिद्वार, 14 सितंबर 2024* —आज वेदव्यास मंदिर आश्रम में आयोजित होने

वाली तीन दिवसीय अखिल भारतीय संस्कृत संगोष्ठी के प्रथम दिवस पर मुख्य अतिथियों में व्यास मंदिर आश्रम के अध्यक्ष के. श्री

निवास प्रभु, संस्कृत भारती के अखिल भारतीय  अध्यक्ष प्रो. गोपबंधु मिश्र, प्रो कमला भारद्वाज  अखिलभारतीय उपाध्यक्ष, दिनेश क़ामत , अखिल भारतीय संगठन मंत्री, संस्कृत भारती,जयप्रकाश ,अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री, संस्कृत भारती,श्रीमती जानकी त्रिपाठी प्रांत अध्यक्षा संस्कृत भारती उत्तरांचल, प्रो० लक्ष्मी निवास पांडे ,कुलपति कामेश्वर सिंह दरभंगा विश्वविद्यालय,बिहार , श्री सत्यनारायण भट्ट ,अखिल भारतीय महामंत्री संस्कृत भारती, प्रो. दिनेशचंद्र शास्त्री ,कुलपति उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय ,हरिद्वार एवं डॉ. आनंद भारद्वाज ,निदेशक संस्कृत शिक्षा परिषद,उत्तराखंड आदि सम्मिलित हुए।

इस प्रदर्शिनी में उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों से संपूर्ण विश्व में विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ की पवित्र नदियाँ – गंगा, यमुना, अलकनंदा और भागीरथी – सदियों से धार्मिक आस्था का केंद्र रही हैं। पंच प्रयाग -विष्णु प्रयाग, नंद प्रयाग, कर्ण प्रयाग, रुद्र प्रयाग, देव प्रयाग का धार्मिक महत्व अपार है, वहीं पंच केदार-केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर, कल्पेश्वर आदि श्रद्धालुओं को शिव भक्ति की गहराइयों में ले जाते हैं। पंच बद्री बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री, वृद्ध बद्री आदि भगवान विष्णु के प्रति आस्था का प्रतीक हैं। इसके अतिरिक्त, मक्का, गेहूं, मंडुआ, और चौलाई जैसे अन्न यहाँ की कृषि परंपरा का आधार हैं। केदारनाथ, बद्रीनाथ और जागेश्वर धाम जैसे प्राचीन मंदिरों के साथ-साथ यहाँ की सांस्कृतिक प्रदर्शनियाँ इस पवित्र भूमि को अद्वितीय बनाती हैं।

     संस्कृत भारती का यह प्रयास संस्कृत का पुनरुत्थान करने और भाषा के माध्यम से वैश्विक समुदायों को जोड़ने का कार्य निरंतर जारी रखे हुए है।

1981 में स्थापित, संस्कृत भारती संस्कृत को एक बोलचाल की भाषा के रूप में पुनर्जीवित और प्रोत्साहित करने में अग्रणी रही है। संस्कृत को जन-जन की भाषा बनाने के उद्देश्य से इस संगठन ने अपने अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुंच बनाई है।

 संस्कृत भारती दुनिया भर में 10-दिवसीय संस्कृत संवाद शिविर आयोजित करती है, जिससे इस भाषा को प्रारंभिक स्तर के लोगों के लिए सरल बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त, यह पत्राचार ,पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, गीता शिक्षण केंद्र, बच्चों के लिए बालकेंद्र और लोकप्रिय पत्रिका *संभाषण संदेश* का प्रकाशन भी करती है।

अब तक, इस संगठन ने 26 देशों में 4,500 केंद्रों के माध्यम से 1 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण दिया है। इसने 10,000 से अधिक ‘संस्कृत गृह’ भी स्थापित किए हैं, जहाँ परिवार के सभी सदस्य केवल संस्कृत में ही संवाद करते हैं।

भारत में, कर्नाटक के मत्तूर और होसाहल्ली तथा मध्य प्रदेश के झीरी और मोहद सहित छह गाँव ‘संस्कृत ग्राम’ बन गए हैं, जहाँ सभी निवासी केवल संस्कृत भाषा का प्रयोग करते हैं।

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