आध्यात्मिक जगत हमें धर्म कर्म और संस्कृति के माध्यम से एकता के सूत्र मे बांधता है:महामंडलेश्वर 1008 श्री तेजसानन्द जी महाराज

हरिद्वार11 सितंबर 2024 को एक आध्यात्मिक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए भोलानन्द सन्यास आश्रम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर 1008 परम पूज्य श्री तेजसानन्द जी महाराज ने कहा आध्यात्मिक जगत धर्म और संस्कृति हमें एकता के सूत्र में बांधकर संपूर्ण विश्व में एक मजबूत सनातन परंपरा के रूप में स्थापित करता है भारत के मठ मंदिर आश्रम अखाड़ो से होने वाला शंखनाद संपूर्ण विश्व में सनातन परंपरा के रूप में गूंजता है सनातन परंपरा इस विश्व की सबसे पुरानी एवं मजबूत परंपरा है इस परंपरा को जब-जब इस पृथ्वी पर ईश्वर अवतरित हुए हैं उन्होंने भी स्थापित करने का कार्य किया है आदर्श के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने माता-पिता तथा गुरु की आज्ञा के पालन के लिए बिना किसी सवाल जवाब के 14 वर्ष तक के लिए वनवास जाना स्वीकार किया यह है बड़ों का आदर यह है हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति जो हमें एकता के सूत्र में जोड़े रखती है गुरु चरणों से होकर जाने वाला मार्ग सीधे ईश्वर तक पहुंचता है ईश्वर तक पहुंचाने की युक्ति गुरुजन ही भक्तों को बताते हैं गुरु जन ही धर्म कर्म के माध्यम से भक्तों को कल्याण की ओर ले जाते हैं

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