कमल शर्मा
हरिद्वार, कनखल उदासीनाचार्य भगवान श्रीचंद्र की जयंती के आयोजन को लेकर श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन में आज संतों की बैठक हुई। जिसमें विभिन्न अखाड़ों के संत महापुरूष उपस्थित रहे। कनखल राजघाट स्थित पंचायती बड़ा अखाड़ा में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा कि जन-जन के आराध्य भगवान श्रीचंद्र की 530 वीं जयंती सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों के सानिध्य में धूमधाम के साथ मनायी जाएगी। जयंती के उपलक्ष्य में भव्य शोभा व संत सम्मेलन सहित कई कार्यक्रम होंगे। जिसमें अनेक गणमान्य लोग व श्रद्धालु शामिल होंगे।
कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीचंद्र ने देश का भ्रमण कर हिंदू धर्म में जाति पाति ऊंच-नीच छोटे-बड़े के भेद मिटाकर सामाजिक समरसता और मानव मात्र की मुक्ति के लिए नई राह दिखाने के साथ ही हिंदू धर्म में वैचारिक वाद-विवाद को मिटाकर सत्य सनातन धर्म को समन्वय का विराट रूप प्रदान किया और हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति की महान परंपरा और महिमा को जनमानस को समझाया। भगवान श्री चंद्र आचार्य महाराज ने आडंबर, मिथ्याचार, पाखंडों, अवैदिक मत-मतांतरों तथा अन्य सामाजिक कुरीतियों का जमकर विरोध किया और मानव मात्र की एकता के सूत्र में पिरोया।उन्होंने बताया कि भगवान श्रीचंद्र जयंती के अवसर पर 10 सितम्बर को श्री चंद्राचार्य चौक से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी।
12 सितम्बर को संत सम्मेलन का आयोजन होगा। जिसमें योगगुरू बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पूरी मुख्य अतिथि होंगे। आपको बताते चलें कि बाबा श्री चन्द्र जी (8 सितम्बर 1494 –13 जनवरी 1629) गुरु नानक के ज्येष्ट पुत्र थे जिन्होने उदासीन सम्प्रदाय की स्थापना की थी।बाबा श्री चन्द्र जी उदासीन संप्रदाय के पुनः प्रवर्तक आचार्य है। उदासीन गुरुपरंपरा में आपका १६५ वाँ स्थान हैं। आपकी आविर्भाव तिथि संवत १५५१ भाद्रपद शुक्ल पक्ष नवमी तथा अंतर्धान तिथि संवत् १७०० श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी है।