जहां संत निवास करते हैं वह स्थान तीर्थ के समान पवित्र हो जाता है स्वामी श्री भास्करानंद महाराज
हरिद्वार, 26 अप्रैल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा पावन नगरी हरिद्वार सदा से ही तपस्वी साधु संतों की तपोस्थली रहा है तपोस्थली में पैदल भ्रमण करने मात्र से भक्तों के जन्मो जन्म के पाप समाप्त हो जाते हैं साथ ही संत महापुरुषों के श्री मुख से प्राप्त होने वाले ज्ञान से उसका लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं तीर्थ स्थलों के दर्शन करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है साथ ही तीर्थ के दर्शन करने वाले भक्तजनों का भाग्य उदय होता है इस कलयुग में गुरु ही ईश्वर के प्रतिनिधि हैं भक्तों को धर्म कर्म के माध्यम से गुरुजन ही कल्याण की ओर ले जाते हैं सप्तऋषियों की भूमि पर बन रहा अखण्ड दयाधाम धर्म और सेवा का प्रमुख केंद्र बनेगा। इसके लिए गोयल परिवार बधाई और साधुवाद का पात्र है। सप्तसरोवर मार्ग स्थित अखण्ड दयाधाम के भूमि पूजन और श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि स्वामी भास्करानंद महाराज विद्वान संत है। हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं को आश्रम में आश्रय के साथ स्वामी भास्करानंद महाराज के सानिध्य में धर्म और अध्यात्म के संबंध में मार्गदर्शन भी प्राप्त होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि परमार्थ के लिए जीने वाले संतों का अपना कुछ नहीं होता। भक्तों के सहयोग से संत आश्रम का निर्माण समाज के लिए करते हैं। महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के नेतृत्व में अखण्ड दयाधाम सेवा और संस्कृति की सनातन परंपरा को आगे बढ़ाएगा। युगपुरूष परमानंद महाराज ने कहा कि गुरू के सानिध्य में सत्य का चिंतन करते हुए प्राप्त ज्ञान से ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। स्वामी भास्करानंद महाराज के सानिध्य में अखण्ड दयाधाम राष्ट्र निर्माण और संस्कृति के संवर्धन में योगदान करेगा। स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि गुरूजनों के आशीर्वाद और संत महापुरूषों के सहयोग से धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करते हुए आमजन में आध्यात्मिक चेतना जगाने के साथ अखण्ड दयाधाम में विभिन्न सेवा प्रकल्पों का संचालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अखण्ड दयाधाम को सेवा के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करना ही उनका लक्ष्य है। इस अवसर पर बोलते हुए गंगा भक्ति आश्रम के श्री महंत कमलेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा इस धरती लोक पर गुरुजन चलते-फिरते तीर्थ है उनके श्री मुख से प्राप्त होने वाला ज्ञान भक्तों का लोक और परलोक दोनों सुधार देता है गुरुभक्तों को उंगली पड़कर धर्म कर्म के कार्यों के माध्यम से ईश्वर की ओर ले जाकर उनका कल्याण करते हैं गुरु मिलाते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान भव सागर की नैया के गुरु ही तारणहार इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, स्वामी गोविंदानंद, स्वामी नवल गिरी, महामंडलेश्वर आनन्द चैतन्य, महंत राघवेंद्र दास, महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन पुरी, महाराज महामंडलेश्वर स्वामी जयकृष्णानंद गिरी साध्वी कृष्णानंद महाराज महामंडलेश्वर प्रेमानंद महाराज स्वामी देवानंद सरस्वती महाराज स्वामी नवल गिरी श्री आनंद चैतन्य स्वामी गोविंदानंद कोठारी राघवेंद्र दास डॉ हर्षवर्धन जैन यजमान प्रेमचंद गोयल श्री श्याम अग्रवाल आदि संतों ने भी उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को आशीवर्चन प्रदान किए। ट्रस्टी प्रेम गोयल, विजय गोयल, श्याम अग्रवाल, पुरूषोत्तम अग्रवाल आदि ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।