संत महापुरुष ज्ञान की त्रिवेणी है तथा चलते फिरते तीर्थ है श्रीमद् भागवत कथा जीवन सुधा रस है परम पूज्य श्री महंत कमलेशानंद सरस्वती

हरिद्वार खड़खड़ी भीमगोडा रोड स्थित श्री गंगा भक्ति आश्रम में आश्रम के परमा ध्यक्ष श्री महंत कमलेशानंद सरस्वती जी महाराज ने भक्त जनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए कहा संत साक्षात इस धरती लोक पर त्रिवेणी के समान पावन है संत महापुरुषों के श्री मुख से बहने वाली ज्ञान की गंगा भक्तों का त्रिवेणी के समान कल्याण करती है जिस प्रकार मां गंगा में स्नान करने मात्र से यह शरीर पाप मुक्त हो जाते हैं इसी प्रकार संत महापुरुषों के श्री मुख से बहने वाली ज्ञान की गंगा में गोते लगाने से भक्तों का जीवन धन्य हो जाता है उनका लोक और परलोक दोनों सुधर जाते हैं गुरु मिलते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान भव सागर की नैया के गुरु ही तारणहार इस कलयुग में गुरु के मार्गदर्शन के बिना ईश्वर तक पहुंच पाना संभव नहीं तो हे भक्तजनों गुरु के बताए मार्ग पर चलो आपका स्वतः ही कल्याण हो जाएगा धर्म कर्म के कार्य आपको यश कीर्ति वैभव तो प्रदान करते ही हैं साथ-साथ ईश्वर की कृपा भी आप पर बनी रहती है जिस प्रकार तीर्थ स्थल पर जाकर आप तीर्थ के दर्शन करते हैं उसी प्रकार संत महापुरुष भी किसी तीर्थ से कम नहीं वे इस पृथ्वी लोक के चलते-फिरते तीर्थ हैं जिनके श्री मुख से निकलने वाला ज्ञान आप लोगों के लिए कल्याणकारी है सत्संग जहां भी हो रहा हो कुछ पल रुक कर उसे ध्यान से सुने तथा सत्संग के माध्यम से प्राप्त होने वाले ज्ञान को अपने जीवन में धारण करें वही आपके लिए कल्याणकारी है तथा वही ईश्वर तक पहुंचाने का मार्ग है गुरु के बिना ज्ञान नहीं गुरु के बिना कल्याण नहीं और गुरु के बिना संस्कार नहीं और गुरु के बिना गति नहीं इसलिए गुरु के मार्गदर्शन में अपने जीवन को कल्याण की ओर ले जाएं श्रीमद् भागवत पावन कथा इस पृथ्वी लोक पर जीवन कल्याणकारी सुधा रस है उसका अपने जीवन में कानों से रसपान करें वह आपका लोक और परलोक दोनों सुधार देगी आपका जीवन धन्य हो जाएगा

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