कमल शर्मा
आज हरिद्वार में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चंडीघाट के नमामि गंगे घाट पर शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की। यात्रा शुरू करने से पहले शंकराचार्य ने मां गंगा की पूजा-अर्चना की। इस दौरान पत्रकारों से वार्ता करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि हम सभी को आशा थी कि जब बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है, तो भारत सरकार बांग्लादेशी हिंदुओं के पक्ष में आवाज उठाएगी, लेकिन सरकार मामले में कुछ बोल नहीं रही है। सरकार को जल्द कड़े कदम उठाकर पूरे विश्व के हिंदुओं और विभिन्न देशों की सरकारों को संदेश देना चाहिए कि दूसरे देशों में रहने वाले हिंदुआ को कोई छुएगा तो भारत सरकार उन हिंदुओं के साथ खड़ी है।
शीतकालीन चारधाम यात्रा पर शंकराचार्य ने कहा कि ग्रीष्मकाल के समय में ग्रीष्मकालीन स्थान पर भगवान की पूजा होती है। ऐसे ही शीतकाल के समय में शीतकालीन स्थान पर भगवान की पूजा जारी रहती है। कपाट बंद होने के बाद भगवान की पूजा बंद नहीं होती है। वर्षभर चारधाम यात्रा चलती रहती है। भ्रम की स्थिति लोगों में बनी हुई थी कि कपाट बंद होने के बाद चारधाम की पूजा बंद हो जाती है। इस भ्रम को तोड़ने के लिए शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की गई है। लगातार दूसरे साल वह शीतकालीन चारधाम यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शीतकालीन चारधाम यात्रा में रुचि ली है जो की बहुत अच्छी बात है। सरकार अपने स्तर से काम कर रही है। हम अपने स्तर से काम कर रहे हैं। शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर सरकार जागृत है इससे लोगों को लाभ होगा।
विज्ञापन
उन्होने कहा कि नौ जनवरी को कुंभ क्षेत्र में वह प्रवेश करेंगे। बताया की कुंभ मेले में गौ प्रतिष्ठा महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। 1800 पंडित, 324 कुंड बना कर पूरे महीने यज्ञ में आहुति देते हुए गौ माता की प्राण और प्रतिष्ठा के लिए यज्ञ किया जाएगा। धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। ताकि कुंभ से गौ हत्या बंदी और गौ प्रतिष्ठा का संदेश जाएं।
शंकराचार्य ने कहा कि गंगा में खनन बंद है। खनन बंद होने के बाद दोबारा खोला गया है। इस कारण मातृ सदन के स्वामी दयानंद पिछले नौ दिनों से अनशन पर बैठे है। पूर्व में खनन के खिलाफ आवाज उठाने पर गंगा में खनन बंद कर दिया गया था। फिर खोला जा रहा है तो राज्य सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। तत्काल कड़े कदम उठाने चाहिए। संतों को अपने प्राणों की आहुति देने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए।