पुण्यतिथी पर संत समाज ने दी साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज को श्रद्धांजलि
संतों की तपस्थली और देवभूमि है उत्तराखण्ड-तीरथ सिंह रावत
सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार और मानव सेवा ही जीवन का उद्देश्य
-श्रीमहंत रधुवीर दास
हरिद्वार, 12 मई। रेलवे रोड़ स्थित श्री सुदर्षन आश्रम अखाड़ा के श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज के संयोजन में साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज की 33वीं पुण्यतिथी के उपलक्ष्य में आयोजित गुरूजन स्मृति महोत्सव के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर रविवार को श्रद्धांजलि सभा एवं संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सभी 13 अखाड़ों के संत महापुरूषों ने साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज को दिव्य आत्मा बताया। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पूज्य गुरूजनों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव सेवा में योगदान ही शिष्य को उन्नति के शिखर पर ले जाता है। उत्तराखण्ड संतों की तपस्थली और देवभूमि है। संतों के श्रीमुख से प्रसारित होने वाले आध्यात्मिक संदेशों से पूरे विश्व को मार्गदर्शन मिलता है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज की उनके गुरू के प्रति अगाध श्रद्धा सभी के लिए प्रेरणादायी है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज संत समाज की दिव्य विभूति थे। श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के दिए ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए उनके अधूरे कार्यो और आश्रम की सेवा संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए। सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि पूज्य गुरूदेव साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज से प्राप्त ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार और मानव सेवा में योगदान करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत व दिव्य महापुरूष थे। श्रीमहंत रधुवीर दास महाराज अपने गुरू के पदचिन्हों पर चलते हुए समाज को धर्म व अध्यात्म की प्रेरणा देने में अहम योगदान कर रहे हैं। महंत बिहारी शरण एवं स्वामी निर्मल दास महाराज ने कहा कि निर्मल जल के समान जीवन व्यतीत करने वाले साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज ने सनातन धर्म संस्कृति को आगे बढ़ाने तथा भक्तों को धर्म व अध्यात्म की प्रेरणा देने में अहम योगदान दिया। उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। महंत सूरज दास, स्वामी अंकित शरण, महंत जयराम दास ने सभी संत महापुरूषों व अतिथीयों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर बोलते हुए महंत सूरज दास जी महाराज ने कहा कथा यज्ञ अनुष्ठान संपूर्ण सृष्टि में अनुकूल वातावरण को स्थापित करते ही हैं साथ ही धर्म कर्म मनुष्य को कल्याण की ओर ले जाते हैं गुरु ही इस संसार में भक्तों के सच्चे मार्गदर्शक होते हैं गुरु के बिना भवसागर पार जाना संभव है इस अवसर पर महंत नारायण दास पटवारी, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत सूरजदास, महंत जयराम दास, महंत बिहारी शरण, स्वामी अंकित शरण, महंत सुरेश दास, पुजारी गिरीष दास, कालीचरण महाराज विजय शर्मा, निर्मला शर्मा, अभिषेक शर्मा, तनु शर्मा, कुलदीप डोगरा, बबली डोगरा, रमेश रानी माता, सच्चिदानंद, मुनेश तिवारी, सत्यानंद सेमवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे