गोवर्धन पर्वत को भगवान श्रीकृष्ण के समय का एक मात्र स्थायी व स्थिर अवशेष का दर्जा प्राप्त है: श्रीमंहत रवींद्र पुरी जी महाराज

हरिद्वार 1 नवंबर, आज अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़े के महंत श्री रवींद्र पुरी जी महाराज ने अपने श्री मुख से गोवर्धन पर्व के बारे में भक्तजनों को बताते हुए कहा कि यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को समर्पित है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा-अर्चना और 56 भोग अर्पित करने से साधक को समस्त दुख और संताप से छुटकारा मिलता है।भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था. उसी समय से गोवर्धन पूजा का विधान आरंभ हुआ और इसे लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं. इस दिन हर घर में गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है और पूजा अर्चना की जाती। इसे भगवान श्रीकृष्ण के समय के एक मात्र स्थायी व स्थिर अवशेष का दर्जा प्राप्त है. माना जाता है कि उस समय की यमुना नदी भी समय-समय पर अपनी धारा बदलती रही है, लेकिन गोवर्धन पर्वत आज भी अपने मूल स्थान पर ही स्थित है. इस कारण से इन्हें भगवान कृष्ण का स्वरूप भी मानकर आज भी इस दिन पूजा जाता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *