कमल शर्मा
हरिद्वार 6 अक्टूबर आज चंडी देवी के महंत श्री रोहित गिरी महाराज ने अपने श्री मुख से भक्तजनों को चंडी देवी मंदिर के रहस्य उसका महत्व को विस्तार से बताते हुए कहा कि चंडी देवी मंदिर हरिद्वार का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर देवी चंडी देवी को समर्पित है। यह नील पर्वत पर स्थित है। माता चंडी देवी का यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता खंभ रूप में विराजित है और अपने भक्तों को दर्शन देती हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब दानवों के राजा शुम्भ और निशुम्भ देवताओं पर काफी अत्याचार करने लगे थे और स्वर्ग लोक पर कब्जा जमाना चाहते थे, तब माता पार्वती के तेज से चंडिका देवी का उदय हुआ था। उस समय माता चंडिका ने इसी स्थान पर दोनों राक्षसों का वध किया था और कुछ समय विश्राम भी किया था। इसी कारणवश इस पहाड़ी पर माता का मंदिर बना, जिसे वर्तमान समय में देशभर के लोग जानते हैं और माता के मंदिर में अपना शीष नवाने आते हैं।

काली देवी के समान ही चण्डी देवी को माना जाता है। ये कभी कभी दयालु रूप में और प्रायः उग्र रूप में पूजी जाती हैं। दयालु रूप में वे उमा, गौरी, पार्वती, अथवा हैमवती, शताक्षी, शाकम्भरी देवी, अन्नपूर्णा, जगन्माता और भवानी कहलाती हैं। कहा जाता है कि माता के मंदिर जो भी भक्त सच्चे मन से वर मांगता है, माता उसे अवश्य पूरा करती हैं।
