संत समाज ने दी ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद एवं स्वामी प्रियतमानंद को श्रद्धांजलि


हरिद्वार,1 सितम्बर संत समाज ने ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद एवं स्वामी प्रियतमानंद महाराज की पुण्यतिथी पर उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्रवणनाथ नगर स्थित श्री जगद्गुरू उदासीन आश्रम में आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सुतीक्ष्ण मुनि महाराज के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज ने कहा

कि ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद एवं स्वामी प्रियतमानंद उच्च कोटि के विद्वान संत थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रचार के साथ समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वामी सुतीक्षण मुनि अपने गुरूजनों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए जिस प्रकार उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ा रहे हैं। उससे युवा संतों को प्रेरणा लेनी चाहिए।

महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा किक गुरू और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। परमात्मा स्वरूप गुरू के बताए मार्ग पर चलने से ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। गोविंददास महाराज ने कहा कि स्वामी सुतीक्षण मुनि अपने गुरूजनों द्वारा प्रदत्त सेवा के मंत्र को आत्मसात कर मानव कल्याण में योगदान कर रहे हैं। महापुरूषों के जीवन से भक्तों को प्रेरणा लेनी चाहिए।

स्वामी हरिहरानंद महाराज एवं स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद एवं स्वामी प्रियतमानंदक उदासीन संप्रदाय के शिरोमणी और धर्मशास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान थे। उन्होंने कहा कि सत्संग की बड़ी महिमा है। महापुरूषों का सत्संग हमेशा पुण्यदायी होता है। इसलिए महापुरूषों के सानिध्य का हमेशा लाभ उठाना चाहिए। महंत सूरजदास ने कहा कि गुरू की महिमा अपरंपार और उनकी कृपा अनुपम है। गुरू के आशीर्वाद और उनके बताए मार्ग पर चलते हुए स्वामी सुतीक्षण मुनि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में अहम योगदान कर रहे हैं।

महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति की पताका को फहराने में ब्रह्मलीन स्वामी कृष्णानंद एवं स्वामी प्रियतमानंद महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। स्वामी सुतीक्षण मुनि ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरूजनों की शिक्षा और उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए आश्रम की सेवा संस्कृति को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। श्रद्धांजलि सभा का संचालन स्वामी रविदेव शास्त्री ने किया। इस अवसर पर महंत जयेंद्र मुनि, महंत दामोदर शरण दास, स्वामी कमलेशानंद, महंत प्रेमदास, स्वामी दिनेश दास, आचार्य पदम प्रसाद सुवेदी, महंत मोहन सिंह, स्वामी ज्ञानानन्द, महंत गणेश दास, महंत दुर्गादास, महंत बिहारी शरण, महंत प्रह्लाद दास एवं श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *