इस संसार में मनुष्य की सबसे बड़ी विडंबना झूठी प्रशंसा और झूठी शान है:श्री महंत श्यामसुंदर दास महाराज

कृष्ण मय है संपूर्ण वातावरण और कृष्णा मय मैं खुद हो रहा हूं श्री महंत श्यामसुंदर दास महाराज हरिद्वार 26 अगस्त 2024 श्यामपुर स्थित श्री श्याम वैकुंठ धाम के परमाध्यक्ष 1008 श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए कहा संपूर्ण वातावरण श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्ण मय हो रहा है भगवान श्री कृष्णा और माता किशोरी की झांकियां मन मोह रही है मैं खुद अपने आप को कृष्ण मय महसूस कर रहा हूं यानी मैं कृष्णा का हूं और कृष्णा मेरे हैं जिस प्रकार सभी छोटी बड़ी नदियां जाकर एक दिन समुद्र में विलय हो जाती है उसी प्रकार सभी इंसान सभी पशु पक्षी इस चराचर सृष्टि के जीव भगवान श्री कृष्ण के चरणों से उत्पन्न हुए और एक दिन उन्ही में समा जाना है इस संसार में मनुष्य की सबसे बड़ी विडंबना झूठी प्रशंसा और झूठी शान है अगर सच्चाई जानना है तो कभी शमशान घाट जाइए जहां सदैव एक अजीब सी आभा और शांति पसरी रहती है सब हाय तौबा शमशान के गेट तक दिखाई देती है अंदर तो एक महान यात्रा पर जाने का महान यज्ञ हो रहा होता है जब तक शमशान की परिधि में रहेंगे तब तक आपका मन इस बात से भली भांति परिचित रहेगा की सच्चाई सिर्फ जन्म और मृत्यु है बाकी सब माया का जाल है इंसान बंद मुट्ठी माता के गर्व से रोते हुए इस धरती पर आता है और एक दिन अपने परिजनों को अपनी स्मृति और यादों के कारण रुलाते हुए अपने असली घर श्री कृष्ण के धाम में विलीन हो जाता है जिस दिन से आपने अपनी गलती समझना शुरू कर दिया है और दूसरों की गलती जानना छोड़ दिया है समझ लो की आप एक लंबी यात्रा की ओर भगवान में विलीन होने की ओर अग्रसर है श्री कृष्ण ही राधा है और राधा ही श्री कृष्णा है अगर सत्य है तो सिर्फ प्रेम आदि से अनादि तक सांसारिक मोह माया का जाल कृष्ण भक्ति ही मुक्ति का मार्ग है

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