हरिद्वार श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े में आश्रम के परमाध्यक्ष श्री महंत रघुवीर दास जी महाराज ने भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए कहा भक्ति ही भव तारिणी है भजन कीर्तन और भक्ति की कोई आयु नहीं होती वह बचपन से लेकर अंतिम समय तक की जा सकती है क्योंकि भव सागर पार जाने का मध्य और मार्ग भक्ति और सत्संग ही है सत्संग से मनुष्य के अंदर अच्छे विचार और संस्कार तो उत्पन्न होते ही हैं साथ-साथ उसकी सद्गति का मार्ग भी उसे प्राप्त हो जाता है राम नाम की महिमा इस संसार में बड़ी ही अपरंपार है राम नाम जिसने भी भजा उसका लोक और परलोक दोनों सुधर गए तथा वह भवसागर पार हो गया श्री महंत रघुबीर दास जी महाराज ने कहा भक्ति ही मन और तन को तृप्त कर सकती है तथा भक्ति ही भगवान राम से मिला सकती है