विश्व सनातन महापीठ एक हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सांस्कृतिक पुनर्जागरण का महासंकल्प

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

हरिद्वार। तीर्थ सेवा न्यास द्वारा स्थापित किए जा रहे विश्व सनातन महापीठ की उद्घोषणा एवं शिला पूजन कार्यक्रम भव्य रूप से संपन्न हुआ। कार्यक्रम में शिला पूजन व संत समारोह में प्रतिभाग कर अपनी शुभकामनाएं प्रदान करते हुए करौली शंकर महादेव ने कहा कि सनातन धर्म की वैश्विक रक्षा, वैदिक मूल्यों की पुर्नस्थापना व समाज के चेतना जागरण में विश्व सनातन महापीठ महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। करौली शंकर महादेव ने अपने उद्बोधन में कहा कि सनातन का मूल आधार मूल्य शिक्षा है, बिना मूल्य शिक्षा के समाज टिकता नहीं है, और बिना समाज के धर्म सुरक्षित नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि विश्व सनातन महापीठ का उद्देश्य केवल धार्मिक निर्माण नहीं अपितु चरित्र निर्माण, मानव निर्माण और समाज निर्माण है। उन्होंने कहा कि बच्चों, युवाओं व परिवारों तक वैदिक मूल्यों को पहुंचाना ही इस महापीठ का मुख्य संकल्प है। आने वाले पीढ़ियों को संस्कारित करने के लिए शिक्षा में वैदिक मूल व नैतिक शिक्षा शामिल करना समय की मांग की है। आयोजकों को अपनी शुभकामनाएं प्रदान करते हुए उन्होंने कहा कि समाज तभी महान बनता है जब वह संस्कृति, परम्परा व मूल्यों से जुड़ा रहे। इस अवसर पर राष्ट्रीय ब्यूरो चीफ श्री ए के सोलंकी ने बाबा हठयोगी जी को चांदी का मुकुट पहनाकर सम्मान किया l

संरक्षक तथा अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री बाबा हठयोगी जी महाराज के अनुसार विश्व सनातन महापीठ लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने जा रहा है। किंतु यह केवल आर्थिक समर्पण का विषय नहीं, यह करुणा, त्याग, तप, विद्वत्ता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का विराट संगम है।

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