पेड़ ही होते हैं ऑक्सीजन बनाने के फैक्ट्री – ग्रीनमैन बघेल

प्रैस नोट
गौरादेवी जन्म शताब्दी महोत्सव

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

चिपको आंदोलन की जननी थी गौरादेवी – डीएफओ

वर्ष 2025 को चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरादेवी के जन्म शताब्दी वर्ष के रूप में मनाने वाले भारतीय वृक्ष न्यास (ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया) के तत्वाधान में पौड़ी प्रभाग अंतर्गत लैंसडाउन में गौरा देवी जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर गौरा देवी वाटिका में 100 फलदार पौधों का रोपण किया। इस अवसर पर भारतीय वृक्ष न्यास के संस्थापक अध्यक्ष राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित विजयपाल बघेल जी (ग्रीन मैन ऑफ इंडिया), जिला संयोजक विनोद मित्तल, पूर्व ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख अजय पाल रावत, ग्राम प्रधान रेखा रावत, वन विभाग की प्रभागीय अधिकारी श्रीमती स्पर्श काला, वन क्षेत्रीय अधिकारी विश्न दत जोशी, हरक सिंह वन दरोगा की उपस्थिति में ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने गौरा देवी के जीवन पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया गौरा देवी सामान्य परिवार की महिला थी पर उनको पर्यावरण की समझ थी, पेड़ों के महत्व के बारे में पता था, जब उनके गांव रेणी में पेड़ काटने के लिए लोग आए और वह पेड़ काटने लगे तब उन्होंने इसका विरोध किया और पेड़ से चिपक गई और उन्होंने कहा कि पेड़ पर कुल्हाड़ी मारने से पहले मुझे मारना होगा। तीन दिन तक भूखी प्यासी वह पेड़ से चिपकी रही, उनके साथ 28 महिलाएं भी रही और उन्होंने क्षेत्र में जन जागरण कर दिया तब से चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई। उनके द्वारा किए गए कार्य जन-जन तक पहुंचे इसके लिए भारतीय वृक्ष सेवा न्यास ने चिपको चेतना यात्रा का आयोजन किया जो उत्तराखंड के सभी जिलों में गई, जिसमें गोष्ठी ,रैली इत्यादि कार्यक्रम हुए। चिपको चेतना यात्रा रेणी गांव से प्रारंभ हुई थी इसके अतिरिक्त पूरे वर्ष भर गौरा देवी के नाम से अनेक प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तावित है और सरकारों का सहयोग लेकर के भी कार्यक्रम किए जाएंगे उत्तराखंड के प्रत्येक तहसील में गौरा देवी वाटिका का निर्माण कराया जाएगा उसी क्रम में आज यहां पर गौरा देवी शताब्दी वाटिका में हम सब लोग पौधारोपण करने के लिए आए हैं। उन्होंने पेड़ों के महत्व के बारे बताते हुए कहा कि पेड़ ही एकमात्र प्राणवायु यानी ऑक्सीजन बनाने की फैक्ट्री होते हैं।

उन्होंने अपने संबोधन में पेड़ के महत्व पर प्रकाश डाला और उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन बनाने का कोई कारखाना नहीं होता ,पेड़ से ही हमें ऑक्सीजन मिलता है। प्रत्येक 3 सेकंड में हम सांस के रूप में ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। डीएफओ श्रीमती स्पर्श काला ने अपने संबोधन में बताया कि आदिवासी महिला ने पेड़ों से चिपककर उनकी रक्षा की, जिसका संदेश चिपको आंदोलन के रूप में पूरी दुनिया तक गया। उपस्थित जन समुदाय को संबोधित करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी पर्यावरण प्रेमी अनिल भारतीय ने सभी बच्चों को जिम्मेदारी दी कि इस गौरा देवी वाटिका के प्रत्येक पेड़ को बचाने के लिए एक-एक बच्चे को एक-एक पेड़ गोद लेना होगा। सभी बच्चों ने एक-एक पेड़ गोद लिया। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से वन विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ ग्रामीण भी उपस्थित रहे प्रमुख रूप से उपस्थित रमेश गोसाई, कुलदीप नेगी, राकेश वेदपाल, संजय कंडारी, संदीप आर्य, आशीष कुमार, प्रदीप कुमार ,भोपाल सिंह, रवि बिष्ट मनोज के साथ हंस फाउंडेशन के कार्यकर्ता व राजकीय इंटर कॉलेज के बच्चे उपस्थित रहे। सभी ने पेड़ के महत्व के विषय में प्रकाश डाला और बच्चों ने एक-एक पेड़ गोद लिया जिस पर वह प्रतिदिन सिंचाई करेंगे और उसका ध्यान रखेंगे।

अनिल भारतीय
मीडिया टीम इंचार्ज, ट्री ट्रस्ट ऑफ इंडिया

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