अमावस्या पर गंगा में स्नान और पितरों की पूजा करनी चाहिए,जिससे जीवन में कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं: श्री विश्वापुरी जी महाराज

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

हरिद्वार 23 अगस्त 2025 भाद्रपद मास की अमावस्या के अवसर पर ठोकर नंबर 5 गंगा किनारे पंच दशनाम जूना अखाड़े के महंत महाशक्ति पुंज सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी श्री विश्वापुरी महाराज के सानिध्य में पितरों की शांति के लिए हवन एवं भंडारे का आयोजन किया गया इस अवसर पर बोलते हुए महाराज श्री ने कहा कि इस दिन पितृदोष को शांत करने और शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, सरसों का तेल और काले वस्त्र दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन गंगा में स्नान और पितरों की पूजा करनी चाहिए, जिससे जीवन में कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं l

शनि अमावस्या का महत्व बताते हुए महाराज श्री ने कहा कि इस दिन शनि देव की प्रिय वस्तुओं का दान करने से वे प्रसन्न होते हैं, जिससे जीवन की बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं. शनि अमावस्या पितरों की पूजा और तर्पण का एक महत्वपूर्ण दिन है, जिससे पितृ दोष शांत होता है. इस दिन लोग पिंडदान, पितृ तर्पण और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. इस अवसर पर बोलते हुए महाशक्ति पुंज सेवा ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष श्री राजवीर शर्मा ने बताया कि यह अमावस्या मास की मौनी अमावस्या की तरह ही, इस अमावस्या पर भी नदियों में स्नान का विशेष महत्व है इन दिनों देवताओं का नदियों में निवास होता है. 

परम पूज्य ब्रज किशोर जी महाराज ने अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें के बारे मे जानकारी देते हुए कहा कि काले तिल, सरसों का तेल, और काले रंग के वस्त्रों का दान करना अत्यंत शुभ होता है. इस दिन पशुओं को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है. अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियाँ प्रबल होती हैं, इसलिए श्मशान घाट या सुनसान जगहों पर जाने से बचना चाहिए. लहसुन, प्याज, मांस और मदिरा जैसे तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. 

भंडारे में संतों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया l

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