शिव महापुराण मे वर्णित कथाएं मनुष्य को भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का महत्व सिखाती हैं:स्वामी सुनील कैलाशी

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

हरिद्वार3 जून 2025 भूपतवाला स्थित कमलदास कुटिया में महंत ओमप्रकाश शास्त्री जी महाराज, के पावन सानिध्य में श्री सुनील कैलाशी जी महाराज के श्री मुख से शिव महापुराण कथा का शुभारंभ हुआ उससे पहले भव्य कलश यात्रा का आयोजन हुआ तत्पश्काचात दिव्य शिवमहापुराण का आयोजन किया गया l स्वामी श्री सुनील कैलाशी जी महाराज ने अपने श्री मुख से आज देवराज ब्राह्मण और चंचुला-विंदुक की कथा पर आधारित प्रसंग भक्तों को श्रवण कराया उन्होंने कहा कि देवराज ब्राह्मण, जो पापी कर्मों में लिप्त था, अंत समय में शिव महापुराण की कथा सुनने से शिव पद को प्राप्त हुआ। चंचुला और विंदुक की कथा में, चंचुला अपने पति के साथ गलत काम करती है, लेकिन शिवजी की भक्ति के कारण, उन्हें शिव लोक में स्थान मिलता है।


देवराज ब्राह्मण की कथा:
यह कथा एक ऐसे ब्राह्मण की है जो पापी कर्मों में लिप्त था, लेकिन मृत्युशय्या पर शिव महापुराण की कथा सुनने से उसे शिव पद की प्राप्ति हुई। यह कथा दिखाती है कि कैसे भक्ति और कथा श्रवण से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं और उसे मुक्ति मिल सकती है।
चंचुला और विंदुक की कथा:
चंचुला और विंदुक की कथा में, चंचुला अपने पति के साथ गलत काम करती है, लेकिन वह शिवजी की भक्त थी। जब उसकी मृत्यु हुई, तो वह शिव लोक पहुंची। पार्वतीजी ने शिवजी से प्रार्थना की कि चंचुला ने अपने पति के कहने पर गलत काम किए, इसलिए उसे मोक्ष दिया जाए।

शिवजी ने चंचुला को मोक्ष प्रदान किया। यह कथा दिखाती है कि भक्ति और समर्पण से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिल सकती है, भले ही उसने गलत काम किए हों। अंत में शिव की कथा श्रवण कर करके शिव पद को प्राप्त हुआ जिससे भोले नाथ ने बिन्दुक को अपना गण चंचुला को पार्वती मैया ने अपनी सखी बना लिया l
यह दोनों कथाएँ मनुष्य को भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का महत्व सिखाती हैं।

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