हरिद्वार भूपतवाला स्थित अखंड बाल विदुषी आश्रम भागीरथी नगर हरिद्वार में परम पूज्य श्रद्धा योगी जी महाराज का तेहरवा निर्वाण दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ संत महापुरुषों की गरिमा मय उपस्थित के बीच मनाया गया इस अवसर पर बोलते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद ने कहा इस संसार में सभी वस्तुओं का नाश होना निश्चित है यह मृत्यु लोक है चाहे आप जितने अच्छे मनोरथ पूर्ण आहार ले ले किंतु गले से नीचे उतरते ही सब कुछ माटी हो जाता है मगर मनुष्य जीवनमे संचित की गई कोई निधि बचती है तो वह है हरि भजन इस अवसर पर बोलते हुए महामंडलेश्वर श्री सुधा योगी जी महाराज ने कहा संतों का जीवन समाज को समर्पित होता है संतो द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य में सभी भक्तों व समाज का हित निहित होता कार्यक्रम का संचालन कर रहे जूना अखाड़े के पूर्व सचिव श्री महंत देवानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा इस संसार में गुरु ही भक्तों को उंगली पड़कर भवसागर पार करते हैं वे ही भक्तों को कल्याण का मार्ग दिखाते हैं अगर अपना कल्याण चाहते हो तो गुरु के बताए मार्ग पर चलो वही मार्ग आपको भवसागर पार ले जाएगा जो त्याग का त्याग कर दे वह सबसे बड़ा साधक है त्याग करना इतना सरल नहीं त्याग भी केवल त्यागी ही कर सकता है यानी एक सधक एक तपस्वी संत कर सकता है यह शरीर नासवान है किंतु आत्मा कभी मरती नहीं इसलिए जब आदमी की मृत्यु हो जाती है तो उसे मारना नहीं उसे देहांत कहा जाता है यानी देह का अंत जो एक बार पुनः नव योनि को प्राप्त करता है यानी एक बार अंत होकर पुनः उत्पन्न होना इस अवसर पर स्वामी प्रेमानंद महाराज महंत गोविंद दास महाराज महामंडलेश्वर हरि चेतनानंद महाराज श्री देवानंद सरस्वती महाराज सूरज दास महाराज विनोद महाराज भागवत आचार्य सुधा योगी महाराज पार्षद विदित मिश्रा अनिल मिश्रा श्याम गिरी महाराज श्रवण दास महाराज वरिष्ठ कोतवाल श्री कालीचरण महाराज सहित भारी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित थे