कमल शर्मा
शिव अग्रवाल जी की इस लेख से हम सभी समाज वासियों को एवं सरकार को एवं नगर निगम कुछ सीख लेनी चाहिए एवं समझना चाहिए की किस कारण बस शहर के कुत्ते खूंखार हो रहे हैं उन्हें आवश्यकता है प्यार से ट्वीट करने की उनके भोजन खाने की व्यवस्था करने की परंतु समाज इन बेजुबानों को केवल एक ही दृष्टि से देख रहा है परंतु वास्तविकता यही है बाधीया करण के बाद इनमें हारमोंस के कारण यह परिवर्तन देखने को मिलता है जिससे वह खूंखार हो जाते हैं..
एबीसी सेंटर में किस प्रकार के इंजेक्शन इनको लगाया जा रहे हैं की किस प्रकार उनकी देखभाल की जा रही है यह भी आम जनता जानने से परिचित नहीं है शायद उन्हें इस मामले में कोई इंटरेस्ट भी नहीं है परंतु मेरा आप सभी से निवेदन है सिक्के के दोनों पहलुओं को देखा जाए एवं उनका निस्तारण एवं समाधान किया जाए…
माननीय सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जिस प्रकार हम मनुष्य अपने निवास स्थान पर रह रहे हैं वह रहने का अधिकार है इस प्रकार इन बेजुबानों को भी जहां पर यह पैदा होते हैं वहां रहने का पूर्ण अधिकार है.. और अगर कोई व्यक्ति इन्हें दो वक्त की रोटी नहीं दे सकता तो कृपा कर कर इन पर उंगली बिना उठाएं और जो इंसान मनुष्य इन पर दिन प्रतिदिन इन बेजुबानों का उत्पीड़न कर रहे हैं उन पर भी सख्त कार्रवाई की जाए..
चाहे उसमें सरकार हो नगर निगम हो या कोई नेता इस विषय पर सोच विचार करना अनिवार्य है
सूत्रधार: सोनिया अरोड़ा