मां की पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और मनोकामना की पूर्ति होती है: महंत विश्वापुरी जी महाराज

कमल शर्मा

हरिद्वार, पंच दशनाम जूना अखाड़ा के महंत, महाशक्ति पुंज सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री विश्वा पूरी जी महाराज ने चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन, भक्तों के बीच मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि। यह दिन तपस्या, ज्ञान और वैराग्य की देवी मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है, जिनकी पूजा से भक्तों को सुख, समृद्धि और मनोकामना पूर्ति होती है. लेकिन इस दिन दूसरा और तीसरा नवरात्र एक साथ मनाया जाएगा। ऐसा तिथि के क्षय के कारण हो रहा है। इस दिन द्वितीया तिथि सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगी तो वहीं इसके बाद तृतीया तिथि लग जाएगी जो 1 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर ही खत्म हो जाएगी। क्योंकि 1 अप्रैल को सूर्योदय के समय तृतीया तिथि मौजूद नहीं है इसलिए ही तीसरा नवरात्र भी 31 मार्च को ही मनाया जाएगा। जो भक्त नौ दिन के व्रत रह रहे हैं वो दूसरे नवरात्र के दिन ही मां ब्रह्मचारिणी के साथ मां चंद्रघंटा की भी पूजा करेंगे।

दूसरा और तीसरा नवरात्र साथ होने पर कैसे करें पूजा
नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा की पूजा के समय मां ब्रह्मचारिणी के साथ मां चंद्रघंटा की भी पूजा करें। दोनों ही माताओं के मंत्रों का जाप करें। साथ ही देवी दुर्गा के दोनों स्वरूपों की आरती भी करें। इससे एक ही दिन में आपको दोनों नवरात्र की पूजा का फल एक साथ मिल जाएगा।

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