हरिद्वार श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमाध्यक्ष 1008 श्री महंत रघुबीर दास जी महाराज ने भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए कहा भजन सत्संग और भगवान राम की भक्ति मनुष्य में उज्ज्वल चरित्र का निर्माण करने के साथ-साथ संस्कार और मनुष्य के व्यक्तित्व का भी उदय करती है सत्संग का अर्थ है सत्य की संगत जो सत्य की राह पर चलते हैं भगवान राम माता जानकी उनके सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं जिस प्रकार राम का नाम लिखने से पत्थर तैर सकते हैं उसी प्रकार जीभ से राम नाम की भक्ति करने से यह नासवान जीवन भी तैरकर भवसागर पार हो सकता है मनुष्य मोह माया तथा सांसारिक मनोरंजन में सारा समय व्यर्थ कर देता है और अंत समय में बुढ़ापे में निशक्त अवस्था में उसे भजन की याद आती है जब आप उस उम्र में बिना सहारे के ठीक से खड़े भी नहीं हो पाथे तो उस निशक्त शरीर से स्वस्थ भजन कैसे करेंगे इसलिए भजन की कोई उम्र नहीं होती जब भी समय मिले उसे व्यर्थ गंवाने से अच्छा हरि की संगत में भगवान राम के भजन में लगाओ अपने जीवन को कल्याण की ओर ले जाओ
भजन और भक्ति मनुष्य मे व्यक्तित्व और संस्कारों का उदय करती है श्री महंत रघुबीर दास जी महाराज
