जिस कर्म से माता, पिता और आचार्य तृप्त हो वह तर्पण है: कथा व्यास श्री श्री सुधा दीदी

हरिद्वार 15 सितंबर कथा व्यास श्री श्री सुधा दीदी ने अपने श्री मुख से आने वाले पितृपक्ष के बारे में जानकारी देते हुए भक्तों को बताया क़ी प्रतिपदा श्राद्ध तिथि 18 सितंबर को पड़ रही है। श्राद्ध पक्ष प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, इसलिए 18 सितंबर से पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोजन और दान जैसे अन्य दूसरे कार्य किए जाएंगे। ऐसे में पितृ पक्ष का आरंभ 18 सितंबर से हो रहा है, जो कि 2 अक्तूबर 2024 तक चलेगा।

आगे बताते हुए दीदी ने कहा कि इस दिनों पितरों को तृप्त करने के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है। जिस परिवार में किसी सदस्य का देहांत हो चुका है। उन्हें मृत्यु के बाद जब तक नया जीवन नहीं मिल जाता तब तक वे सूक्ष्म लोक में वास करते है। शास्त्रों में मान्यता है कि इस दौरान पितरों का आशीर्वाद उनके परिजनों को मिलता है।

भक्तों के पूछने पर दीदी ने आगे विस्तार देते हुए बताया कि तमिलनाडु में आदि अमावसाई, केरल में करिकडा वावुबली और महाराष्ट्र में इसे पितृ पंधरवडा नाम से जानते हैं। श्राद्ध और तर्पण का अर्थ : सत्य और श्रद्धा से किए गए कर्म श्राद्ध और जिस कर्म से माता, पिता और आचार्य तृप्त हो वह तर्पण है। वेदों में श्राद्ध को पितृयज्ञ कहा गया है।

महर्षि निमि संभवत: जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर थे। इस प्रकार पहले निमि ने श्राद्ध का आरंभ किया, उसके बाद अन्य महर्षि भी श्राद्ध करने लगे। श्राद्ध का उनके द्वारा उपदेश देने के बाद श्राद्ध कर्म का प्रचलन प्रारंभ हुआ और धीरे धीरे यह समाज के हर वर्ण में प्रचलित हो गया।

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