कमल शर्मा (ब्यूरो चीफ) हरिद्वार
परमार्थ निकेतन में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चैथे दिन विज़डम टाॅक में वैद्य डॉ. पद्मा नयनी राजू, डॉ. स्मिता पंकज नारम, मारिया एलेजांद्रा अवचेरियन और योगाचार्य आनंद मेहरोत्रा सहित विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदिक और आध्यात्मिक विशेषज्ञों ने भारत की प्राचीन पद्धति आयुर्वेद की शक्ति पर अंतर्दृष्टि प्रदान की
✨सायंकाल परमार्थ गुरुकुल ऋषिकुमारों के साथ-साथ डिवाइन शक्ति फाउंडेशन के स्कूलों के बच्चों द्वारा एक विशेष योग प्रदर्शन किया
🌱आयुर्वेद, जीवन का विज्ञान
🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 11 मार्च। परमार्थ निकेतन में 36 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के चैथे दिन के मुख्य सत्र विज़डम टाॅक में आयुर्वेद के माध्यम से उपचार करने की शक्ति पर एक विशेष ज्ञानवर्धक चर्चा हुई जिसका नेतृत्व वैद्य डॉ. पद्मा नयनी राजू, डॉ. स्मिता पंकज नारम, मारिया एलेजांद्रा अवचेरियन और योगाचार्य आनंद मेहरोत्रा ने किया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आयुर्वेद की व्याख्या करते हुये कहा कि आयुर्वेद आयु और वेद का विज्ञान है। आयु का अर्थ है जीवन, वेद का अर्थ है ज्ञान अर्थात् आयुर्वेद का अर्थ है जीवन का विज्ञान। आयुर्वेद सभी जीवित प्राणियों, मानव और सभी के लिये लाभकारी है। स्वामी जी ने आयुर्वेद को तीन मुख्य शाखाओं ‘नर आयुर्वेद जो मानव जीवन से संबंधित है, सत्व आयुर्वेद जो पशु जीवन और उसके रोगों के समाधान से संबंधित है और वृक्ष आयुर्वेद जो पौधे के जीवन, उसके विकास और रोगों के समाधान से संबंधित है पर विशेष उद्बोधन दिया।
साध्वी भवगती सरस्वती जी ने कहा कि आयुर्वेद न केवल एक चिकित्सा प्रणाली है बल्कि पूर्ण सकारात्मक स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता की प्राप्ति के लिये जीवन का एक तरीका भी है। आयुर्वेद का प्रमुख उद्देश्य स्वास्थ्य को बनाए रखना और बीमारी की रोकथाम और बीमारी का इलाज करना है।
डॉ. स्मिता जी ने आयुर्वेद के प्रमुख सिद्धांतों को साझा करते हुये कहा कि यह स्वास्थ्य प्राप्त करने और बीमारी को रोकने में मदद करता हैं और उन्होंने बताया कि कैसे, अपनी रसोई का उपयोग करके, आप खुद को ठीक कर सकते हैं।
डॉ. स्मिता जी ने कहा, ‘सबसे पहले, आपको खुद को संतुलित करना होगा।’ “दूसरा, अपने शरीर को सुनें। उदाहरण के लिए, जब बुखार होता है तो शरीर कहता है, ‘मुझमें विषाक्त पदार्थ हैं, आराम करो।’ तीसरा, अपने पाचन की रक्षा करें। चैथा डेयरी, मांस और तले हुए खाद्य पदार्थ बंद करें। ये सभी आपके मेटाबोलिज्म को समाप्त कर देंगे। उन्होंने मूंग और सब्जी के सूप लेने व डिटॉक्स करने की सलाह दी।
डॉ. स्मिता जी ने सभी दोषों के लिए एक स्मूदी रेसिपी साझा कि उन्होंने 10 बादाम, 4 अखरोट, 2-3 खजूर (यदि मधुमेह नहीं है), सेब, चुकंदर, गाजर, इलायची, सौंफ, और एवोकैडो और अलसी, जिसे उन्होंने एक साथ कुचलने के लिए कहा और दैनिक रूप से पीने की सलाह दी। उन्होंने कहा, ‘प्रतिदिन इस स्मूदी से आपके पास बहुत अधिक ऊर्जा होगी और आपके ऊतक पोषित रहेंगे।
आनंद मेहरोत्रा जी ने कहा कि आयुर्वेद स्वयं एक आत्मा-आधारित चिकित्सा पद्धति है। एक जागरूकता पर आधारित दवा हैं। “अधिकांश चिकित्सा प्रणालियाँ शरीर को एक मशीन के रूप में देखती हैं। आयुर्वेद शरीर को एक मशीन के रूप में नहीं बल्कि आध्यात्मिक शरीर के रूप में देखता है। आयुर्वेद की नींव आध्यात्मिकता है। एक गहरी आध्यात्मिक नींव के बिना हम स्वस्थ नहीं रह सकते। वेदों में अंतर्निहित मूलभूत सत्य स्वयं को जानना है। हमें स्वयं से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं बीमारी से डरता हूँ। पतंजलि कहते हैं कि कैसे मृत्यु का डर बुद्धिमान लोगों में भी होता है। क्या स्वास्थ्य के प्रति हमारा दृष्टिकोण भय और चिंता पर आधारित है?”
उन्होंने कहा कि “यदि आपके पास मजबूत प्राण शक्ति व प्राकृतिक जीवंतता है, तो आपकी रूपांतरण करने की क्षमता मजबूत होगी इसलिए हमारे आध्यात्मिक ग्रंथ उस गहरे स्तर तक जाने के लिये प्रेरित करते है। शिव हमें यही सिखाते हैं कि हमारे भीतर मौजूद किसी भी पदार्थ को रूपांतरित करने की क्षमता है, जब आप जीवन के उस क्षेत्र से जुड़ना शुरू करते हैं, तो आपका पूरा जीवन औषधि बन जाता है।
डॉ. पद्मा जी ने कहा, ‘आयुर्वेद 10,000 साल पुरानी शास्त्रीय ज्ञान प्रणाली है जो हमारे आचार्यों ने हमें दी है।’ “हमारा मानना है कि आयुर्वेद ब्रह्मा, निर्माता से आया है। उनके मन में था कि आयुर्वेद अब मानव जाति के लिए बहुत आवश्यक है।
मारिया एलेजांद्रा अवचेरियन ने कहा, ‘जब हम अपनी प्रकृति को समझ जाते हैं तो हम खुद को बदल सकते हैं।’ “जब हमारे शरीर में दर्द होता है तो हम अपने आध्यात्मिक पथ पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। हमें अपने शरीर और दिमाग को संरेखित करना चाहिए। यही मुख्य नियम है जिसे आयुर्वेद प्रोत्साहित करता है। सीधे शब्दों में कहें तो, आयुर्वेद हमें जो सिखाता है वह हमारी संरचना के बारे में है। हमारे शरीर में हमारे मन में कौन सा तत्व है। जब हम समझ जाते हैं कि कौन सा तत्व संतुलन से बाहर है, तो हम अपने शरीर में शांति बनाए रखने के लिए थोड़ा समायोजन कर सकते हैं।
आज अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव के चैथे दिन प्रातःकाल प्रतिभागियों ने ध्यान, योग और दिव्य संगीत का आनंद लिया। सुबह की कक्षाओं में एक्स्टेटिक हार्ट के द्वार खोलेने का अभ्यास योगी आनंद मेहरोत्रा ने कराया। संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त योग शिक्षिका किआ मिलर ने कुंडलिनी सत्र में लॉ ऑफ अट्रैक्शन सत्र का नेतृत्व किया। योगी भजन की शिष्या गुरमुख कौर खालसा, कुंडलिनी योग का नेतृत्व किया, उन्होंने सिखाया कि सभी आत्माओं के भीतर मौजूद प्रकाश के लिए अपने दिल को कैसे खोलें।
सत्रों की दूसरी श्रृंखला में लीला योग के संस्थापक और यूएसए में लीला योग स्टूडियो की संस्थापक एरिका कॉफमैन के नेतृत्व में एक विशेष लीला शक्ति नृत्य कराया। तत्पश्चात पारंपरिक हठ योग, भक्ति योग का अभ्यास कराया। लॉस एंजिल्स, लोयोला मैरीमाउंट विश्वविद्यालय में योग और उपचार विज्ञान कार्यक्रम के निदेशक डॉ. ईडन गोल्डमैन ने एथलीटों को योग सिखाया, जबकि अंतर्राष्ट्रीय योग प्रतिपादक मानसी गुलाटी, फेस योग कराया।
सायंकाल अहमदाबाद से आये नृत्यावली नृत्य ग्रुप ने अंतर्राष्ट्रीय मेहमानों को गुजरात और राजस्थान की पारंपरिक लोक नृत्य शैलियों का अभ्यास कराया। भारत के जाने-माने कलाकार, श्री भरत बारिया और श्री अक्षय पटेल ने पारंपरिक लोक नृत्य की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराया।
साध्वी आभा सरस्वती ने योग निद्रा सत्र का नेतृत्व किया। जोसेफ श्मिडलिन (डी.ओ.एमटीपी, एलएमटी), एक शास्त्रीय ऑस्टियोपैथ चिकित्सक, और पारंपरिक चीनी चिकित्सा और आयुर्वेद सहित ऊर्जा चिकित्सा के क्षेत्र में 25 वर्षों से अधिक का अनुभव है उन्होंने सोनिक वाइब्रेशनल मेडिसिन और नाडा योग अभ्यास कराया।
सेक्रेड साउंड स्टेज पर, कीर्तन, मंत्र और साउंड कलाकारों ने एक प्रतिभाशाली प्रस्तुति दी। यहां पर प्रतिदिन की शुरुआत सूर्योदय मंत्रोच्चार के साथ हो ही जिसके बाद कीर्तन सत्रों का एक पूरा कार्यक्रम और मंत्र, ध्वनि और साउंड कार्यशालाओं की एक अद्भुत श्रृंखला होती है।
परमार्थ गुरुकुल ऋषिकुमारों और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन के स्कूलों के छात्रों ने मंत्रमुग्ध करने वाला योग प्रदर्शन किया जिसने सभी के दिल को छू लिया।
प्रस्तुतकर्ताओं और प्रतिभागियों के विचार
लेखिका, योग विशेषज्ञ और नमामि योग की संस्थापक इरा त्रिवेदी ने कहा, “परमार्थ निकेतन वापस आकर बहुत अच्छा लग रहा है। योग महोत्सव हर साल और बेहतर होते जा रहा है। यहां आकर नए लोगों से दोबारा जुड़ने और मिलने का अवसर प्राप्त होता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका से आयी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त योगाचार्य सीन कॉर्न, ने कहा कि योग महोत्सव में जो चीजें पसंद हैं वह है एक समुदाय की भावना है। विभाजन और संघर्ष के इस समय में हम मौजूद स्वतंत्रता और अलगाव की भावना से परे जाने के लिए योग के महत्व को साझा करना नहीं भूल सकते। यह उल्लेखनीय है कि कितनी विभिन्न संस्कृतियाँ और योगिक वंशावली यहाँ एक साथ आती हैं। इस तरह के आयोजन पूरी धरती पर होने चाहिये।
मेक्सिको से प्रतिभागी लिको रुइज-आइचेलमैन ने कहा, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आना वास्तव में व्यक्तिगत रूप से सशक्त होने का अनुभव प्रदान करता है, जो मुझे दूसरों से जोड़ता है।