कांवड यात्रा न केवल श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक है बल्कि यह हमें सेवा में पुण्य का भागीदार बनने का भी अवसर देती है: महंत श्री रवींद्र पुरी जी महाराज

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

हरिद्वार 17जुलाई 2025 अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी जी महराज ने भक्तों के बीच सावन में भोले बाबा के महत्व और कांवड़ियों के विषय में बताते हुए कहा कि कहा कि भोले बाबा अपने नाम के अनुकुल ही बड़े भोले है। वे जल अर्पित करने मात्र से ही अपने सभी भक्तों की मनोकामनायें पूरी कर देते है, और श्रावण मास में तो भगवान की भक्ति का प्रभाव अत्यधिक बड़ जाता है। सैकड़ा-हजारों किलोमीटर से दूर-दूर से चलकर शिव भक्त कांवड़िये धर्म नगरी हरिद्वार से गंगा का जल लेकर जाते है और जलाभिषेक करते है। उन्होंने कहा कि भोले बाबा की भक्ति में कितनी शक्ति है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना थके, बिना रूके, बिना विश्राम किये बम-बम भोले के जयकारे लगाते हुए अपने गंतव्य की ओर निरन्तर बढ़ते जाते है, निरन्तर चलते जाते है।

उन्होंने कहा कि कांवड यात्रा न केवल श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक है बल्कि यह हमें सेवा में पुण्य का भागीदार बनने का भी अवसर देती है। इस वर्ष अभी तक कांवड यात्रा पर एक करोड़ से अधिक शिव भक्त कांवड़ियों ने अपने-अपने गंतव्य को प्रस्थान कर लिया है।कांवड मेंला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नही हमारी आस्था श्रृद्धा और सनातन संस्कृति का प्रतीक है। हमारा सौभाग्य है कि हर साल करोंड़ों-करोंडों शिव भक्तों का सेवा करने का सुअवसर प्राप्त होता है। जहां भक्ति है वहां मर्यादा की भी आवश्यकता है, जहां आस्था है वहां अनुशासन भी जरूरी है, और जहां शिव है वहां शान्ति भी स्वाभाविक है। लेकिन हाल ही में कुछ घटनाएं भी सामने आई है, जहां कुछ स्थानों पर कांवड यात्रा के दौरान उपद्रव और अनुशासनहीनता भी देखने को मिल रही है।

उन्होंने कहा कि शिव शक्ति कोई प्रदर्शन नहीं बल्कि एक आन्तरिक साधना है। उन्होंने कहा कि भगवान महादेव को जलाभिषेक करने, जल अर्पित करने एवं उनकी अराधना करने की पवित्र यात्रा एवं अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि महादेव को प्रसन्न करने के लिए, अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए, अपना शोधन करने लिए इस यात्रा को करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने सृष्टि व दूसरों की रक्षा के लिए हलाहल पी लिया, इसलिए वह नीलकण्ठ हो गए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि आपकी यात्रा के कारण किसी को भी पेरशानी न हो, यात्रा में किसी भी प्रकार का विघ्न एवं बाधा न हो, कावंड़ यात्रा के नियमों का पालन करें। उन्होंने गर्व करते हुए कहा कि यात्रा नियमों का पालन करते हुए लाख श्रद्धालु यात्रा कर रहे, ऐंसे श्रद्धालुओं को नमन किया। उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्ति कावड़ यात्रा के उद्देश्यों को भुलाकर अशान्ति, एवं उपद्रव की राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं, उनसे भी विनम्र अपील की कि वह सच्चे शिव भक्त की भांति विनम्रता पूर्ण आचरण करें, क्योंकि जब भक्त विनम्र और सहनशील होता है तब आत्मिक शान्ति प्राप्त होती है। इस अवसर पर बोलते हुए गुजरात से पधारे श्री कुर्शीपुरी महाराज ने कहा कि भगवान आशुतोष से प्रार्थना की कि इस बार की कांवड़ यात्रा भक्तों के भीतर शिव तत्व को जागृत करें, इसके लिए आपको प्रसन्न रहकर शान्तिपूर्ण आचरण करना होगा।

उन्होंने कहा कि सनानत की आड़ में विधर्मियों द्वारा छद्म वेष बनाकर भोले भाले लोगों को ठगने के खिलाफ भी ऑपरेशन कालनेमि चला रहे हैं। इस ऑपरेशन के माध्यम से छद्म वेशधारियों को पकड़ने का काम कर रहे है, जोकि सनातन धर्म को नुकसान पहुॅचाने एवं हिन्दु धर्म को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में श्रीमद् भागवत गीता के पाठ को भी अनिवार्य कर दिया गया है। पिछले दो दिनों से सभी स्कूलों में विद्यार्थी गीता का पाठ कर रहे हैं, जिससे हमारे प्रदेश के बच्चे शिक्षा के साथ-साथ जीवन जीने की कला को भी सीख पायें, शिक्षा के साथ-साथ अपने अध्यात्म के प्रति भी उत्सुकता भी जागृत हो।उन्होंने अपील करते हुए कहा कि यात्रा की सफलता एवं श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जो भी दिशा-निर्देश जारी किये हैं, उनका अनुपालन करें, यात्रा को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें।

इस अवसर पर बोलते हुए श्री ललितानन्द महाराज ने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की यह पुण्य भूमि केवल आप सभी का स्वागत ही नहीं करती है, बल्कि आपकी सेवा को अपना शौभाग्य मानती है। इस अवसर पर गुजरात से आए स्वामी कुर्शीपुरी जी महाराज एवं उनके समस्त भक्त महाराज श्री से आशीर्वाद लेने पधारे ।

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