वानप्रस्थ आश्रम में रहकर बुजुर्ग ध्यान और अध्ययन के जरिए अपनी आध्यात्मिक चेतना को बढ़ाते हैं: आर के गुप्ता

वानप्रस्थ शब्द का अर्थ वन की ओर प्रस्थान करना होता है. महाभारत काल और पुरानी कथाओं में भी वानप्रस्थ जीवन शैली को अपनाने का वर्णन मिलता है. ऐसे में हरिद्वार का अनूठा वानप्रस्थ आश्रम प्राचीन धारणा को आज भी जीवंत रखे हुए है.ज्वालापुर क्षेत्र में करीब सौ साल पुराने आर्य वानप्रस्थ आश्रम हिंदू धर्म की वानप्रस्थ जीवन धारणा को जीवंत रखे हुए है. ऐसे में हरिद्वार का वानप्रस्थ आश्रम विलुप्त हो चुकी वानप्रस्थ जीवन शैली से परिचय कराता है.

आश्रम के बारे में बताते हुए आश्रम के प्रधान श्री आर के गुप्ता जी ने बताया कि आर्य समाज के संत महात्मा नारायण स्वामी ने साल 1928 में हरिद्वार में व्यवस्थित ढंग से वानप्रस्थ आश्रम बनाया था.यह एक साधारण वृद्धावस्था आश्रम नहीं है, बल्कि यहां रहकर बुजुर्ग ध्यान और अध्ययन के जरिए अपनी आध्यात्मिक चेतना को बढ़ाते हैंlआश्रम की मंत्री सविता शर्मा जी ने बताया कि यहां साढ़े तीन सौ से ज्यादा बुजुर्ग कुटिया में रहते हैं. ये लोग रिटायरमेंट के बाद आध्यात्मिक चिंतन करते हुए अपने जीवन को नई दिशा दे रहे हैं.

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