भगवान श्री राम जी द्वारा स्थापित परंपरा है सनातन परंपरा विरोधाभासी भक्ति भी भक्ति का एक मुक्ति पाने का मार्ग श्री- महंत रघुबीर दास जी महाराज

कमल शर्मा हरिद्वार

श्री जगन्नाथ पुरी (द्वारा वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोज कुमार )श्री जगन्नाथपुरी उड़ीसा में संत सम्मेलन में भक्तों को संबोधित करते हुए श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमाध्यक्ष श्री महंत परम पूज्य रघुबीर दास जी महाराज ने अपने श्री मुख से भक्तजनों के बीच उद्गार व्यक्त करते हुए कहा भजन सत्संग से मनुष्य के जीवन में अच्छे संस्कार उत्पन्न होते हैं साथ ही उसे कल्याण का मार्ग प्राप्त होता है श्रीमद् भागवत कथा श्री राम कथा श्री गीता जी कथा श्री रामचरित्र मानस कथा जिसने एक बार अपने जीवन में सुनी हो व उतरी हो उसके जीवन के सभी संताप समाप्त हो जाते हैं भगवान श्री रामजी माता जानकी जी की ,वीर बजरंगबली की ,उस पर विशेष कृपा होती है राम नाम की महिमा इस संसार में अपार है जिसने स्वार्थ वश भी राम का नाम भजा हो उसके लिए भगवान श्री हरि के धाम के द्वार खुल जाते हैं राम नाम की महिमा बड़ी ही अपरंपार है 100 कोस के समुद्र पर राम नाम लिखने मात्र से पत्थरों का सेतु तैयार हो जाता है सदियों से आम जनमानस पर अपने आतंक का कहर ढा रहे बड़े से बड़े पपियों का भगवान श्रीराम जी के हाथों से उद्धार होना क्योंकि उन्होंने सद्गति भगवान श्री राम जी के हाथों से पाई उनके लिए स्वर्ग के द्वारा खुल जाना भी बड़ी सौभाग्य की बात है भक्ति दो प्रकार की होती है एक तो वह भक्त है जिसे साधु संत ऋषि मुनि भक्तजन करते हैं और एक वह भक्त है जिसका नाम विरोधाभासी भक्ति है मुक्ति पाने के लिए रावण ने की शिशुपाल ने की कंस ने की उन्हें भगवान से बैर करने का परिणाम पूर्व से ही मालूम था किंतु उन्हें भगवान हरि के अवतारों के हाथ से मोक्ष पाने की लालसा उन्हें भगवान के विपरीत खड़ा कर रही थी जैसे की भीम के पौत्र महा पराक्रमी महावीर बर्बरीक ने की उन्हें भगवान के हाथ से मोक्ष पाने की लालसा की और उन्हें भगवान ने साक्षात खाटू श्याम बना दिया वे साक्षात भगवान श्री कृष्ण जी में समा गए भक्ति के अनेकों स्वरूप है कोई दम सीधे रास्ते से भगवान को पाने की लालसा रखता है तो कोई हटके विरोध के रास्ते से विरोधाभासी भक्ति कर मोक्ष पाने की लालसा रखते हैं सगुण व निर्गुण दोनो ही प्रकार की भक्ति से प्रभु की प्राप्ति संभव है

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