भगवान राम तथा संत महापुरुषों द्वारा स्थापित सनातन परंपरा को विश्व भर के लोग अपनाने के लिए आतुर

हरिद्वार श्यामपुर स्थित श्री श्याम वैकुंठ धाम के परमाध्यक्ष श्री महंत 1008 श्यामसुंदर दास जी महाराज ने आज श्री जगतगुरु आश्रम कनखल पहुंचकर जगतगुरु शंकराचार्य परम पूज्य श्री राज राजेश्वरानंद जी महाराज के दर्शन किये तथा भारतीय प्राचीन सनातन परंपरा तथा भारतीय संस्कृति पर चर्चा करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य परम पूज्य श्री राज राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा भारतीय संस्कृति सभ्यता आचार विचार और सनातन परंपरा को अपनाने के लिए विदेशी लोग भी आतुर है अनेको देश में वहां के लोग भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अपना रहे हैं इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत श्याम सुंदर दास महाराज ने कहा सनातन धर्म का इतिहास सबसे प्राचीन है इस धर्म को प्राचीन वेदकल से भी पुराना माना जाता है इसी परंपरा का निर्वहान करते हुए माता-पिता की आज्ञा पर भगवान श्री राम ने बिना किसी प्रश्न उत्तर के वन जाना स्वीकार किया गुरु की आज्ञा पर उन्होंने आम जनमानस की रक्षा हेतु राक्षसों का अंत किया भारतीय आचार विचार सभ्यता संस्कृति इस विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता है जिसे भारत केक कोने-कोने में देखा जा सकता है अगर आप विदेश में जाते हैं तो वहां आपको कोई पूछने वाला नहीं किंतु आप भारत के किसी भी कोने में चले जाइए किसी भी धर्म के लोगों में चले जाइए जाते ही आपका सत्कार किया जाएगा आपको जलपान कराया जाएगा आपसे शिष्टाचार पूर्ण ढंग से बातचीत की जाएगी यह सभ्यता यह आदर का भाव सिर्फ आपको भगवान राम की जननी भारत भूमि में ही देखने के लिए मिलेगा साधु संत ऋषि मुनि भारतीय सनातन परंपरा के रक्षक है उसका विश्व भर में संचार करने का माध्यम है संत महापुरुषों के श्री मुख से बहने वाली ज्ञान की गंगा विश्व भर के भक्तों को ईश्वर से जोड़ते हुए कल्याण का मार्ग दिखाती है यहां के मठ मंदिर आश्रम अखाड़े सनातन परंपरा की धर्म ध्वजा विश्व भर में फहराते हैं हमारे परम पूज्य गुरुदेव 1008 श्री श्री पंडित राम गोपाल शर्मा अलवर वाले बाबा ने भी विश्व भर में सनातन धर्म की अलख जगाई भक्तों के दुख दर्द कष्ट हरे अपने तपोबल से लाखों भक्तों के कष्ट हरे उन्हें सत्य की राह दिखाई इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत सत्यव्रतानंद महाराज ने कहा श्रीमद् भागवत कथा श्री गीता श्री राम चरित्र मानस आदि पवन ग्रंथ हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित सनातन परंपरा की झलक कूट-कूट कर भरी है श्रीमद् भागवत जैसी पावन कथा का जिसने अपने जीवन में एक बार भी अपने कानों से रसपान किया हो वह भवसागर पार हो जाता है यह हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति और हमारी ईश्वर के प्रति आस्था का सबसे जीता जागता उदाहरण है आज विदेशी लोग भी हरे कृष्णा हरे राम का जाप कर अपने आप को भवसागर पार ले जाने की युक्ति में लगे है जिन ग्रंथो हमारे पूर्वजों की संस्कृति और सभ्यता झलकती है हमारे भगवान आस्था झलकती है उनके अध्ययन मात्र से मनुष्य का कल्याण हो जाता है वह भवसागर पार हो जाता है उसे भवसागर पार जाने की युक्ति और मुक्ति दोनों प्राप्त हो जाती हैं यह है भारतीय सनातन परंपरा की आधारशिला भारतीय सभ्यता की पहचान इस अवसर पर बोलते हुए माता अंजनी देवी मंदिर के श्री महंत सतीश गिरी महाराज ने कहा मनुष्य के कल्याण की युक्ति संत महापुरुषों के श्री चरणों में छपी है जो भी संत महापुरुषों का सानिध्य करता है वह भवसागर पार हो जाता है यह अवसर पर बोलते हुए स्वामी ज्ञानेंद्र महाराज ने कहा गुरुजनों के श्री मुख से प्राप्त होने वाला ज्ञान मनुष्य के जीवन के अंधकार को दूर कर उसे सत्य की राह दिखाता है इस अवसर पर सर्वश्री सतीश गिरी महाराज स्वामी ज्ञानेंद्र महाराज महंत सत्यव्रतानंद महाराज महेंद्र चौहान श्री अशोक त्यागी डॉ विजय मिश्रा श्री गोपाल गर्ग श्री आशीष मेहरा बबलू श्री प्रदीप सिंघल अरविंद कुमार परवीन कश्यप आकाश भाटी धीरेंद्र रावत ठा मनोजानंद सहित अनेको भक्तजन तथा संत गण उपस्थित थे परम पूज्य श्याम सुंदर दास जी महाराज ने कहा पश्चात संस्कृति विदेशी संस्कृति को हमें तिरांजलि देनी होगी अपनी आने वाली युवा पीढ़ी में अपनी पुरानी संस्कृति अपनी पुरानी सभ्यता अपने पुराने आचार विचार एक दूसरे के प्रति आदर का भाव भरना होगा हमें अपनी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति पर अब वापस आना ही होगा

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