स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने आज परमार्थ निकेतन प्रांगण में संतों, महंतों और ऋषिकुमारों को भंडारा कराया

💥विशाल भंडारे का आयोजन
💐दोनों पूज्य संतों ने बड़े ही प्रेम से संतों व महंतों को अपने हाथों से भोजन परोसा
🌸मानव सेवा, माधव सेवा
✨पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज का 59 वां महानिर्वाण महोत्सव श्रद्धाजंलि समारोह
ऋषिकेश, 25 जुलाई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने आज परमार्थ निकेतन प्रांगण में संतों, महंतों व ऋषिकुमारों को भंडारा कराया। दोनों पूज्य संतों ने बड़े ही प्रेम से सभी को भोजन परोसा। सभी संत और महंत पूज्य संतों को अपने बीच पाकर गद्गद हुये।


परमार्थ निकेतन में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में तीन दिवसीय ऊर्जा संचय समागम शिविर के साथ ही विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
परमार्थ निकेतन में भंडारा ग्रहण करने आये संतों ने कहा कि दोनों पूज्य संत सनातन संस्कृति की मशाल आगे बढ़ा रहे हैं। दोनों ही सनातन धर्म के अग्रदूत हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, प्रकृति, पर्यावरण, जल संरक्षण व भारतीय संस्कृति की मशाल पूरे विश्व फैला रहे हैं।


बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर श्री धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि बुद्धि की शुद्धि से जीवन की सिद्धि होती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का जीवन शुद्ध और बुढ़ापा सिद्ध होना चाहिये। बाहर की शुद्धता के साथ मन की पवित्रता बहुत जरूरी है। मन पवित्र होगा तो आप कभी भी विचलित नहीं हो सकते। अगर हमारा मन दुःखी होगा तो पूरी दुनिया में हम कही पर भी प्रसन्न नहीं हो सकते और मन अगर प्रसन्न होगा तो पूरी दुनिया में चारों ओर प्रसन्नता ही प्रसन्नता दिखायी देगी। उन्होंने इस अवसर पर हनुमत साधना के विषय में भी जानकारी प्रदान की।
आज परमार्थ निकेतन के संस्थापक पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती जी महाराज के 59 वें महानिर्वाण महोत्सव के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन में विशाल भंडारा का आयोजन किया गया। पूज्य संतों और दैवी सम्पद मंडल के पूज्य महामंडलेश्वर व भक्तों ने सहभाग कर श्रद्धाजंलि अर्पित कर भंडारा ग्रहण किया। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी परमार्थ निकेतन में गुरूपूर्णिमा से पांच दिवसीय श्रद्धाजंलि महोत्सव का आयोजन किया गया जिसमें अखंड रामायण, सत्संग, कीर्तन और विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियाँ आयोजित की गयी।
महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जीवन संतुलन का नाम है, परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा के लिये समर्पित कर दिया। वे कहा करते थे कि संसार में रहे परन्तु संसार को अपने में न रहने दे।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने निर्वाण महोत्सव के विषय में उद्बोधन देते हुये कहा कि इच्छाओं का जीवन में न होना ही निर्वाण है; जीवन रहते संतुष्ट होना ही निर्वाण हैं। संबंधों में फंसे रहना; उलझे रहने से मोक्ष; मुक्ति नहीं मिल सकती। जब मन सभी आवृत्तियों और अवधारणाओं से मुक्त हो जाता है तभी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। जीवन में आत्म शान्ति व संतोष की अवस्था ही विश्राम व निर्वाण है। निर्वाण शून्यता का बोधक है, निर्वाण मन की परम शांति को दर्शाता है। जिसने जीवन में शांति को पा लिया है, जिसके मन में सभी के लिए दया हो और जिसने सभी इच्छाओं और बंधनों का त्याग कर दिया हो वही शांति प्राप्त कर सकता है। इच्छाओं का जड़ से नाश हो जाए वही निर्वाण है और यही संदेश पूज्य महामंडलेेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द जी महाराज ने दिया हैं। निर्वाण ही परम आनंद है। यह आनंद चिरस्थाई और सर्वोपरि होता हैं, आनंद नश्वर वस्तुओं की खुशी से प्राप्त नहीं होता है। ?
परमार्थ निकेतन में आयोजित भंडारा व दक्षिणा पाकर सभी संत-महंत गद्गद हुये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *