ऋषिकेश, मायाकुण्ड, श्रीभरत मिलाप आश्रम में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारम्भ

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

दिनांक 27/03/2024 दिन-बुद्धवार को ऋषिकेश, मायाकुण्ड, श्रीभरत मिलाप आश्रम में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारम्भ हुआ। इस ज्ञान यज्ञ का विश्राम दिं०-02/04/2024 को होगा। कथा व्यास आचार्य नारायण दास महाराज ने आज श्रीमद्भागवत माहात्म्य के महात्म्य की कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा- जहाँ- जहाँ श्रीमद्भागवत की कथा होती है, वहाँ-वहाँ समृद्धि का वास और सुमङ्गल का वातावरण निर्मित हो जाता है। तीनों प्रकार के तापों का शमन हो जाता है। कलिकाल में मनुष्य केवल दो-चार लोंगो तक ही सीमित रह गया है। अपने स्वार्थ को ऊपर रखता तथा अन्य धार्मिक-सामाजिक सुकृत्यों को पीठ दे देता है।
मानवीय मानबिन्दुओं के संवर्धन-संरक्षण का सुन्दर सरस और मधुर मार्गदर्शन श्रीमद्भागवत के श्रवणमात्र मात्र से हृदय में सहज ही सुप्रतिष्ठित हो जाता है। यह कथा व्यक्ति को अपने सांसरिक कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वाह करते हुए, अपने आत्मकल्याण के प्रति प्रेरित करती है। इसमें बारह स्कन्ध के अन्तर्गत 18000 श्लोक हैं। श्रीमद्भागवत का अर्थ है- जो भगवान का है अथवा भगावान जिसके हैं।
मन की शुद्धि के लिए इससे बढ़कर और कोई साधन नहीं है। जन्मजन्मान्तर, कल्पकल्पान्तर और युगयुगान्तर के पुण्यों का उदय होता है, तब मनुष्य को श्रीमद्भागवतशास्त्र के श्रवण के पुण्यलाभ का सुयोग बनता है। श्रीमद्भागवत में भगवान और उनके भक्तों के की मधुर कथायें वर्णित हैं। इसमें मुख्य रूप से तीन संवाद हैं- श्रीसूत जी और ऋषि शौनक जी का, सनकादि ऋषियों देवर्षि नारद जी का और भगवान शुकदेव और राज परीक्षित् जी का है।
एक बार नैमिषारण्य में वयो वृद्ध शौनक जी ने व्यास आसन पर विराजमान सूत जी पूछा हे महामति! आप कृपा करके यह बताइये कि कलियुग में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति का कोई सरल उपाय बताइये, जिससे मनुष्य कलिकाल के पाप-ताप से विमुक्त होकर मोक्षपद को प्राप्त कर सके।
श्रीमद्भागवतमहापुराण प्राणिमात्र के कल्याण के लिए एक दिव्यातिदिव्य और अलौकिक सद्ग्रन्थ है, जिसके सेवन से जीवन की गति-मति राष्ट्र और समाज के समुत्थान में स्वतः अनुरक्त हो जाती है। इस कथा का समुद्देश्य सबके कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करना है।
इस पुण्य अवसर पर गुरुधाम हरिद्वार से पधारे हुए वयोवृद्ध संत महाभाग परमपूज्य श्री श्याम चरण दास जी महाराज, परमपूज्य महामण्डलेश्वर श्रद्धेय श्रीवृन्दावन दास जी महाराज ऋषिकेश, माता साध्वी जी , नागा राकेश दास जी, पं० श्रगिरीश मिश्र (हरिद्वार) सर्वश्री इन्द्र कुमार शर्मा ,रोहित मिश्र, मनोज तिवारी जी, श्रीदेवकी नन्दन जोशी, श्रीभानु प्रसाद उनियाल एवं छात्रगण वंश डंगवाल, दुर्गेश चमोली, दीपांशु जोशी और आयुष नोटियाल आदि भक्त गण उपस्थित रहे।

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