हरिद्वार श्री सिया बल्लभ कुटी शजनपुर पीली में विशाल संत समागम आयोजित हुआ इस अवसर पर बोलते हुए सिया बल्लभ कुटी के महंत मुरारी दास जी महाराज ने कहा वे लोग बड़े ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें संत महापुरुषों तथा गुरुजनों की सेवा का सौभाग्य प्राप्त होता है संत महापुरुषों द्वारा किए गए प्रति एक कार्य में जगत कल्याण की भावना निहित होती है गुरु मिलते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान भव सागर की नैया के गुरु ही तारणहार जब इस धरती पर भगवान राम अवतरित हुए तो उन्हें भी गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी इस सृष्टि मे भक्तजनों के कल्याण का माध्यम गुरु ही होते हैं गुरु ही धर्म कर्म के साथ-साथ भगवान राम की महिमा सुना कर भक्तों का लोक और परलोक दोनों सुधार देते हैं इस अवसर पर बोलते हुए श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमा ध्यक्ष श्री महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा पावन नगरी हरिद्वार के कदम कदम पर बने मठ मंदिर आश्रम अखाड़े संपूर्ण विश्व में सनातन परंपरा को और अधिक प्रखर तथा मजबूत बनाने का कार्य करने के साथ-साथ भक्त जनों को भजन सत्संग धर्म कर्म के माध्यम से कल्याण की ओर ले जाते हैं इस अवसर पर बोलते हुए महंत सूरज दास जी महाराज ने कहा राम नाम की महिमा बड़ी ही अपरंपार है जो भी अपनी इस जीभा से राम नाम भजाता है वह राम नाम लिखे पत्थरों के सामान तैर कर भवसागर पार हो जाता है यह अवसर पर बोलते हुए महंत सत्यव्रतानंद महाराज ने कहा धर्म कर्म के माध्यम से गुरुजन भक्तों को भगवान के चरणों की ओर ले जाते हैं भक्तों को गुरु धर्म ग्रंथो का अध्ययन कराकर भगवान हरि की महिमा श्री खाटू श्याम की महिमा से अवगत कराकर उनका लोक और परलोक सुधार देते हैं गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं गुरु के बिना कल्याण संभव नहीं गुरु के बिना गति संभव नहीं इस अवसर पर महंत शत्रुघ्न दास महाराज महंत दिनेशानंद महाराज महंत कमलेशानंद महाराज महंत जयरामदास महाराज महंत सुतीक्ष्णमुनि महाराज स्वामी अनिरुद्ध आचार्य महाराज महंत नारायण दास पटवारी महाराज महंत कैलाशानंद महाराज महत कृष्ण मुरारी दास महाराज बृजमोहन दास महाराज महंत मस्त गिरी महाराज महंत कपिल मुनि महाराज महंत जमुना गिरी महाराज महंत गंगा दास महाराज श्री सतपाल जी महंत सीताराम दास महाराज महंत सूरज दास महाराज महंत रघुबीर दास महाराज सरवन दास महाराज श्याम गिरी महाराज वरिष्ठ कोतवाल कालीचरण महाराज सहित भारी संख्या में संत महंत तथा अन्य भक्तगण उपस्थित थे आश्रम में आयोजित विशाल भंडारे में सभी ने भोजन प्रसाद ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य किया