धर्म कर्म के कार्य और धर्म ग्रंथो का अध्ययन हमारे तन मन को पावन कर देता है श्री महंत कमलेशानंद सरस्वती जी महाराज

हरिद्वार भूपतवाला स्थित श्री प्रभुतानन्द आश्रम ट्रस्ट मे धार्मिक अनुष्ठान के समापन के अवसर पर बोलते हुए श्री गंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष श्री महंत कमलेशा नंद सरस्वती महाराज ने कहा धर्म कर्म के कार्य और हमारे धर्म ग्रंथ हमें हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से जोड़ते हुए कल्याण की ओर ले जाते हैं धर्म ग्रंथो के अध्ययन के माध्यम से मनुष्य अपना लोक और परलोक दोनों सुधर सकता है

साथ ही जो धर्म शास्त्रों का अध्ययन करता है पूजा पाठ करता है भजन सत्संग करता है भगवान की उस पर विशेष कृपा बरसती है उसे सुख समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है यश कीर्ति और वैभव सदैव उसके द्वारा पर दस्तक देते रहते हैं इस अवसर पर बोलते हुए अध्यक्ष संचालक प्रभुतानन्द निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी साक्षी गोपालानन्द जी महाराज ने कहा वे लोग बड़े ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें गुरुजन तथा संत महापुरुषों के श्री मुख से बहने वाली ज्ञान की गंगा में गोते लगाने का सौभाग्य प्राप्त होता है संत महापुरुष इस पृथ्वी लोक पर साक्षात ज्ञान की त्रिवेणी है गुरुजनों द्वारा कही गई एक-एक बात का बहुत बड़ा रहस्य होता है जो भक्त गुरु के बताए मार्ग पर चलते हैं उनका सदैव कल्याण होता है धर्म-कर्म और दान मनुष्य में उज्जवल संस्कार उत्पन्न करते हैं और साथ-साथ उसका लोक और परलोक दोनों सुधार देते हैं

गुरुजनों की महिमा इस संसार में बड़ी ही अपरंपार है साथ में धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ आदि कार्य संपूर्ण सृष्टि को आनंद की आभा प्रदान करते हैं इस अवसर पर बोलते हुए महंत सूरज दास महाराज ने कहा अपने लिए तो सब करते हैं लेकिन जो दूसरे के लिए करके दिखाएं वह इंसान होता है और जो सब पर कृपा बनाए रखते हैं वह भगवान होते हैं महंत स्वामी अलखानन्द अक्रिय जी महाराज ने कहा ज्ञान के बिना मनुष्य पशु सामान है और ज्ञान की प्राप्ति हमें गुरुजनों के माध्यम से ही प्राप्त हो सकती है अगर अपना कल्याण चाहते हो तो गुरु के बताए मार्ग पर चलो गुरु मिलते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान भवसागर की नैया के गुरु ही तारणहार

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