माता की शिव अनुराग कथा,
चितवन को बहुत सुहाती है।
चितवन को बहुत सुहाती है,
खुद शंकर जी को भाती है।
हरिद्वार में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला न्यास साहित्योदय के बैनर तले दो दिवसीय अधिवेशन संपन्न कवियत्री साहित्यकार अनीता सोनी ने सुनाया शिव योगी भोलेनाथ पर अपना काव्य कथन
शिव योगी भोले भाले हैं,
पर माँ को बहुत सताते हैं।
अन्तरमन की सब जान रहे,
मन में मंद मंद मुसकाते हैं।
माता शिव की इस लीला पर,
खुश हो बलिहारी जाती है।
माता की ॰॰॰॰॰॰॰
माता ने वन के फूलों से,
अपना रंग रूप सजाया है।
शिव चरणों में आसन लेकर,
शिवमय हो ध्यान लगाया है।
मन में मनुहार लगा कर के,
मन की हर बात सुनाती है।
माता की ॰॰॰॰॰॰
गंगा तट हो वन उपवन हो,
झरते निर्झर की कल कल हो।
बरफिले शैल शिखर हो या,
सागर के तल की हलचल हो।
कण कण में शिव और शक्ति बसे।
हर महिमा भक्ति जगाती है।
माता की ॰॰॰॰॰॰॰