मनुष्य जीवन दुर्लभ है, परंतु है क्षणभंगुर मनुष्य जीवन में भगवत प्राप्ति व मोक्ष का परम पुरुषार्थ करना चाहिए।
हम सब एक साथ चलें,एक साथ बोलें,हमारे मन एक हों। प्राचीन समय में देवताओं का ऐसा आचरण रहा इसी कारण वे वंदनीय हैं। तुझ में राम मुझ में राम इस धरती के कण-कण में समाये राम फिर जग में कौन पराया जब तुझ में भी राम है और मुझ में भी राम है तो आओ हम सब मिलकर राम मय हो जाये भक्तों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए श्री श्याम वैकुंठ धाम श्यामपुर हरिद्वार के परमाध्यक्ष श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने उक्त विचार भक्तों के बीच व्यक्त करते हुए सभी भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया