स्त्रियाँ ही चरित्रवान् नागरिकों की जननी है। वास्तव में इनकी ही उन्नति पर समाज की उन्नति निर्भर है=कथा व्यासश्री श्री सुधा दीदी

कमल शर्मा

हरिद्वार,आज कथा व्यास श्री श्री सुधा दीदी ने अपने सामाजिक सेवा में किए जाने वाले कार्यों में एक कार्य और जोड़ दिया जो दीदी की सामाजिक छवि को विस्तार देता है l आज परम पूज्य दीदी ने अपने कर कमलो से गरीबों व असहायो में वस्त्रों का वितरण किया जो दीदी श्री की सहृदय छवि को दर्शाता है l उनकी दशा को देखकर दीदी का हृदय द्रवित हो गया l उन्होंने कहा कि हमारा नैतिक पतन हो गया है । चारों ओर भ्रष्टाचार, चोर – बाजारी, रिश्वत तथा धोखेबाजी फैली हुई है। इसलिए समाज – सेवकों का कर्त्तव्य है कि वे अपने चरित्र – बल से समाज की विनाशकारी तथा अनैतिकता की जड़ को उखाड़कर दूर फेंक दें। समाज का तभी उद्धार होगा। समाज में अन्धविश्वास और छुआछूत का भी बोलबाला है। भाग्यवाद ने समाज को आलसी और अकर्मण्य बना दिया है। जादू – टोना, भूत – प्रेत, मन्त्र – तन्त्र आदि ने उसको सहज बुद्धि पर पर्दा डाल दिया है। ऊँच – नीच के विचार ने परस्पर घृणा का बीज बो दिया है। समाज – सेवकों को इन घृणित तत्वों को हृदय से निकाल कर उनमें सद्भावों की प्रतिष्ठा करनी है। समाज की उन्नति के लिए स्त्री – जाति की संकीर्णताएँ दूर करनी अत्यावश्यक है। बिना स्त्रियों की उन्नति के समाज की उन्नति अधूरी है। स्त्रियाँ ही चरित्रवान् नागरिकों की जननी है। वास्तव में इनकी ही उन्नति पर समाज की उन्नति निर्भर है। आज समाज में स्त्रियों का अपना स्थान है। उन्हें उचित स्थान देना होगा। भारत हमेशा से समाज – सेवा में अग्रणी रहा है। उसने सबसे पहले ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उच्च सिद्धान्त बनाकर विश्व – बन्धुत्व का दिव्य सन्देश दिया है।

कथा व्यास श्री श्री सुधा दीदी=आज हम वसुधैव कुटुम्बकम्’ सिद्धान्त को अपनाकर समाज तथा राष्ट्र की उन्नति कर सकते हैं।

संपर्क सूत्र=9997512410

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