हरिद्वार 3 नवंबर 2024 को कांगड़ी स्थित सद्गुरु आश्रम में भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर 1008 परम पूज्य श्री संजय गिरी महाराज ने कहा जिस प्रकार दीपक की जगमगाहट अंधकार का अंत कर देती है इसी प्रकार गुरुजनों के श्री मुख से प्राप्त होने वाले ज्ञान से मनुष्य के मन मस्तिष्क में बसे अज्ञानता के अंधकार का अंत हो जाता है और उसके भाग्य का उदय होने लगता है गुरुजनों के बताए मार्ग पर चलने से मनुष्य यश कीर्ति धर्म संस्कृति और ज्ञान को प्राप्त करने के साथ-साथ अपने जीवन को बुलंदियों के शिखर पर ले जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है किंतु मनुष्य के मन मस्तिष्क में ज्ञान रूपी प्रकाश का उदय सिर्फ गुरु ही कर सकते गुरु ही धर्म और संस्कृति की पताका फहरा सकते हैं अहंकार मनुष्य की सभी उपलब्धियों को नष्ट कर सकता है कभी भी अपने मन मस्तिष्क में अहंकार रूपी वृक्ष को अपनी जड़े न जमाने दे बड़े से बड़े ज्ञानी और बड़े से बड़े संत महापुरुष गुरु जनों को भी गुरु की आवश्यकता पड़ती है इस धरा पर जब-जब ईश्वर अवतरित हुए हैं उनका मार्गदर्शन भी गुरुजनों द्वारा ही किया गया है ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती यह किसी भी उम्र में किसी से भी प्राप्त किया जा सकता है जो गुण आपके अंदर है जरूरी नहीं की वहीं दूसरे में भी हो इसलिए सदैव अपने ज्ञान का आदान-प्रदान करें और हमेशा दूसरे से सीखने का और समझने का प्रयास करें कोई मूर्ख नहीं होता ईश्वर ने सभी को कोई ना कोई अलग गुण अलग कला दी है जो मेरे अंदर है जरूरी नहीं वही आपके अंदर भी हो हर व्यक्ति इस संसार में अलग ज्ञान तथा प्रतिभा का धनी है एक मुर्ख भी आपको कुछ ना कुछ कला सिखा सकता है ईश्वर ने सभी को कुछ ना कुछ दिया है किसी को इतना दिया कि उसके ज्ञान की कोई था नहीं किसी को इतना दिया की उसकी गरीबी का कोई अंत नहीं किसी को इतना दिया कि वह दोनों हाथों से लुटाये किंतु जीवन खत्म हो जाये और धन संपदा इसी प्रकार बनी रहे तो ईश्वर की दी गई प्रतिभा को अपने अंदर खोजे और उसका सही इस्तेमाल करें यही आपकी जीविका और जीने का मध्य हो सकता है किंतु किसी भी हालत में चाहे अमीरी हो या गरीबी हो या फकीरी हो अपने उस आराध्य को नहीं भूले जो इस सृष्टि को बनाने वाले हैं इस संसार को चलाने वाले हैं इस सृष्टि के कण-कण में जिनका वास है भगवान श्री नारायण आपका कल्याण करें
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