कमल शर्मा
हरिद्वार 19 अक्टूबर आज कथा व्यास श्री श्रीा सुधा दीदी ने करवा चौथ के विषय में अपने भक्त जनों के बीच उद्गार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की चतुर्थी को रखा जाता है l इस व्रत को रखने की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है. दरअसल, एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया. देवता युद्ध में हारने लगे तो वे रक्षा की गुहार लेकर ब्रह्मदेव के पास पहुंचे. तब ब्रह्मदेव ने इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों से कहा कि वे अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखें और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करें. यह देवताओं को युद्ध में जीत दिलाएगा. इसके बाद देवताओं की पत्नियों ने करवा चौथ व्रत रखा और देवताओं की युद्ध में जीत हुई. उसी समय चांद भी निकल आया था और तभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला था. इसलिए चांद देखकर व्रत खोलने की परंपरा है.यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाने में मदद करता है. इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है और उन्हें कोई बीमारी नहीं होती है. यह व्रत सुहागिन महिलाओं को सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करता है l करवा चौथ भारत के उत्तरी क्षेत्रों में हिंदुओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें विवाहित महिलाएं ‘निर्जला व्रत’ (बिना पानी के उपवास) रखती हैं, करवा चौथ कथा सुनती हैं, और अपने पतियों की लंबी और स्वस्थ जीवन के लिए देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं l
अंत में सुधा दीदीने अपने भक्तों को आने वाले व्रत की शुभकामनाएं प्रदान की l