मां का​लरात्रि का पूजन करने से जातक के घर व जीवन में आ रही नकारात्मकता दूर होती है: कथा व्यास श्री श्री सुधा दीदी

कमल शर्मा

हरिद्वार, कथा व्यास श्री श्री सुधा दीदी ने अपने भक्तजनों के बीच माँ की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि वैसे तो नवरात्रि का हर एक दिन खास होता है क्योंकि 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों का पूजन किया जाता है पर नवरात्रि की सप्तमी तिथि का विशेष महत्व है l इस दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है l मां का​लरात्रि का पूजन करने से जातक के घर व जीवन में आ रही नकारात्मकता दूर होती है. साथ ही माता रानी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. सप्तमी तिथि के दिन मां कालरात्रि का पूजन करते समय आरती, कथा व मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए. इससे जीवन में सकारात्मकता आती है.मां कालरात्रि देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं, मां के स्वरूप का वर्णन करते हुए आगे कथा को विस्तार दिया l उन्होंने कहा कि मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है. चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश: कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं. मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था.नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें, फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं. मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें. इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें.मां कालरात्रि का मंत्र-‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:.’

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