25 सितंबर 2024 को कनखल स्थित श्री लोकेश धाम आश्रम में मलेशिया से आये श्री स्वामी सत्यप्रकाशानन्द सरस्वती महाराज ने आश्रम में कथा समापन के अवसर पर एक विशाल संत समागम आयोजित किया जिसमें हरिद्वार के अनेको मठ मंदिर आश्रमों से हजारों की संख्या में आये संत महापुरुषों ने भाग लिया l

इस अवसर पर बोलते हुए आश्रम के श्री महंत सदा शिवानंद महाराज ने कहा जो विदेश में रहकर भी अपनी धर्म और संस्कृति को विश्व के कोने-कोने तक पहुंच रहा है उससे बड़ा कोई देश प्रेमी नहीं हो सकता हमारी सनातन संस्कृति विश्व की सबसे बड़ी और मजबूत संस्कृति है जिसे अपनाने के लिए आज संपूर्ण विश्व आतुर है धर्म-कर्म पूजा पाठ और संत महापुरुषों की सेवा हमारा लोक और परलोक दोनों सुधार देती है आत्मा विद्यावनम मलेशिया संगठन तथा हिंदू परंपरा वेद नरी कलवि मैयम हिंदू परंपरा वेद अध्ययन संस्थान मलेशिया शांति सदन गुरुग्राम भोपाल श्री रामकृष्ण योग आश्रम करुड तमिलनाडु के संस्थापक भारतीय धर्म संस्कृति और सनातन परंपरा को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने का पावन कार्य कर रहे हैं l

स्वामी प्रकाशानन्द सरस्वती प्रतिवर्ष हरिद्वार आकर धर्म कर्म व संत महापुरुषों की सेवा के उद्देश्य से श्री लोकेश धाम आश्रम कनखल में हजारों संत महापुरुषों का विशाल भंडारा दान दक्षिणा के साथ करते हैं एक संत होने के बाद भी संतो के प्रति वह धर्म के प्रति ऐसा समर्पण भाव बहुत कम महापुरुषों में देखने के लिए मिलता है धर्म और संस्कृति और सनातन के प्रति स्वामी जी के मन में एक विशेष क्रांति है वह सनातन संस्कृति को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि भारतीय संस्कृति सभ्यता और परंपरा सनातन परंपरा विश्व की सबसे मजबूत परंपरा है जिसे भगवान राम माता जानकी भगवान श्री कृष्णा भक्त व मित्र सुदामा भक्त मीरा देवी ने सच्ची भक्ति से सिद्ध किया है की आस्था और परंपरा सर्वोच्च होती है अगर आपकी आस्था सच्ची है तो आपके आराध्य आपके भगवान कदम-कदम पर आपकी हर कार्य में किसी न किसी रूम में आपके साथ खड़े होंगे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने मात-पिता वह गुरु की आज्ञा के लिए बिना किसी सवाल जवाब के 14 वर्ष के लिए वन जाना स्वीकार किया भक्त मीरा ने अपनी आस्था के बल पर भगवान कृष्ण को पाया उनकी भक्ति और आस्था इतनी मजबूत थी कि भगवान को उनके समीप खुद चल कर आना पड़ा मित्र सुदामा ने भक्ति भगवान और मित्रता की एक अनूठी मिसाल संपूर्ण विश्व के सामने प्रेषित की माता मीरा की भक्ति और प्रेम रस में संपूर्ण विश्व कृष्ण मय हो गया भारत भूमि देवी देवताओं की पावन जननी धरती है यहां बड़े-बड़े वीर सूरमा तथा वीरांगनाऔ ने भी जन्म लिया है इस भारत भूमि को इसकी आस्था को इसकी पावन संस्कृति और मजबूत सनातन परंपरा को शत-शत नमन है इसी संस्कृति और परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं स्वामी प्रकाशानन्द सरस्वती जो सनातन की धर्म ध्वजा हाथ में लिये संपूर्ण विश्व में उसे पहुंचने का पावन कार्य कर रहे हैं इस अवसर पर बोलते हुए स्वामी प्रकाशानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा मै जब भी विदेश में होता हूं मुझे यहां के संत महापुरुषों का पावन सानिध्य सदैव चित् में रहता है और मेरा चित् सदैव उन्हीं के मार्गदर्शन में लगा रहता है सनातन परंपरा और संस्कृति को हमारी धार्मिक आस्था को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने का पवान कार्य करते हैं हमारे मठ मंदिर आश्रम अखाड़े इनसे होने वाला शंखनाद संपूर्ण विश्व में सनातन परंपरा के रूप में गूंजता है सनातन संस्कृति के रूप में गूंजता है हमारी संस्कृति के साथ-साथ हमारी आस्था और हमारी श्रद्धा इतनी मजबूत है कि हमें नर में भी नारायण दिखाई देते हैं हम नर सेवा को ही नारायण सेवा मानकर सभी के दुख दर्द और कष्ट संताप दूर करने की माता गंगा से प्रार्थना करते हैं और अपने संस्था और संगठन के माध्यम से अपनी धर्म आस्था को संपूर्ण विश्व में पहुंचने के लिए कृत संकल्प है संत महापुरुषों का सानिध्य और सेवा करने का अवसर बड़े ही भाग्यशाली लोगों को प्राप्त होता है मै संत महापुरुषों की सेवा में अति आनंद महसूस करने के साथ-साथ अपने जीवन को सार्थक करने के लिये निरंतर संत महापुरुषों की सेवा में लगा रहता हूं यह सब ईश्वर की प्रेरणा और हमारी संस्कृति का प्रभाव है की हमारे संगठन और संस्था हर गरीब असहाय लोगों की सेवा वह संत महापुरुषों का पावन सानिध्य हम लोगों के मानव जीवन को धन्य करने के साथ-साथ गोरान्वित कर रहा है