जन्मो जन्म के कर्म और प्रालब्ध मनुष्य के साथ चलते हैं जैसा बोयेंगे ऐसा काटेंगे श्री महंत श्यामसुंदर दास महाराज

हरिद्वार 23 अगस्त 2024 श्री श्याम वैकुंठ धाम श्यामपुर के परमाध्यक्ष 1008 श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए कहा जो मनुष्य इस जन्म में कर रहा है उसे वहीं अगले जन्म में भोगना है जन्मो जन्म के प्रालब्ध मनुष्य के साथ चलते हैं कहने का मतलब यह है अगर आप खेत में चावल धान बो रहे हैं तो उसमें गेहूं उत्पन्न नहीं होगा आपको धान से चावल की ही प्राप्ति होगी यानी अगर आप अच्छे कर्म कर रहे हैं तो उनका फल आपको अच्छे कर्मों के रूप में अगले जन्म में भी प्राप्त होगा अगर आप बुरे कर्म कर रहे हैं दूसरों को नीचा दिखा रहे हैं उनका अहित कर रहे हैं बिना श्रम किया दूसरों से चालाकी के बल पर लूट कर खा रहे हैं सुख सुविधा और नौकरों का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं तो आपको भी अगले जन्म में दाशता पूर्ण जीवन यानी दूसरों के यहां उनका काम करना पड़ेगा उनकी नौकरी करनी पड़ेगी उनके यहां परिश्रम करना पड़ेगा उनके यहां झाड़ू पोछा करना पड़ेगा इसलिए अच्छे कर्म करो अपनी मेहनत का खाओ ताकि आपका यह जन्म भी सुधर जाए और अगला जन्म भी सुधर जाये जो दूसरों से खाना बनवा कर दूसरों से बैठे-बैठे काम करवा कर बैठे-बैठे खाते हैं उनका आने वाला कल दुखों और संकटों से भरा होता है आप काम ही काम में इस शरीर से श्रम के माध्यम से शरीर को चलने वाली नई चेतना तथा ऊर्जा भी प्राप्त करते हैं साथ ही काम करने से मेहनत करने से परिश्रम करने से दूसरे की मेहनत का भी मनुष्य को बोध होता है अन्यथा बैठे बैठे यह शरीर विनाश की तरफ बढ़ता है मनुष्य जैसे ही 30 वर्ष की आयु पार करता है 40 तक पहुंचते पहुंचते उसके शरीर की 60% अंदर की नडियां आत ब्लॉक होने लगते हैं उसका शरीर व्याधियों से धिरने लगता है और उसे खुद ऐसा लगने लगता है कि अब अंत समय निकट है अगर स्वस्थ जीवन जीना चाहते हो तो कठोर श्रम के माध्यम से इस शरीर को मजबूत बनाओ ताकि आपको 80 से 90 वर्ष की आयु में भी शरीर में किसी प्रकार की निशक्तता महसूस ना हो अगर आप नौकरों के बल पर बैठे-बैठे खाएंगे तो अपने जीवन को खुद ही अंधकार मय बनाएंगे दूसरों द्वारा अशुद्ध पूर्वक उल्टा सीधा बना कर दिया गया आहार आपके जीवन को भी उल्टा सीधा ही कर देगा इसलिए अपने द्वारा किया जाने वाला भोजन मनुष्य को तथा परिवार की स्त्रियों को खुद बनाना चाहिए अपने रोज मरहा के कार्य खुद करने चाहिए इससे आपका शरीर ऊर्जावान बनेगा स्फूर्ति वान बनेगा आप काम ही काम में इस शरीर को एक नई ऊर्जा प्रदान करेंगे जिस प्रकार हरि का भजन मनुष्य के जीवन के सभी शक्ल संताप दूर कर देता है इसी प्रकार नित्य किया गया कर्म और क्रियायें आपके जीवन को स्वच्छता और स्वस्थ जीवन प्रदान करती हैं अगर अगले जीवन में दाशतापूर्ण जीवन से बचाना है तो अपने जीवन के लिए खुद संघर्ष करना सीखें अन्यथा आपका आज भी खराब है और आने वाला कल भी खराब हो जाएगा यह जीवन तो बर्बाद हो ही रहा है आने वाला अगला जीवन भी इसकी बलि चढ़ जायेगा

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