कमल शर्मा (हरिहर समाचार)
हरिगिरि सन्यास आश्रम मे चल रहे पांच दिवसीय श्री महारुद्र यज्ञ महोत्सव का हुआ समापन समारोह हुआ संपन्न
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुखभाग्भवेत् त।।
इति सदुद्देश्य सिद्धि की कामना करते हुए स्वामी श्री हरि गिरि संन्यास आश्रम दक्ष मार्ग कनखल में 31अक्टूबर अक्षय नवमी सत्य युगारंभ तिथि -इसी तिथि को सत्ययुग आरंभ हुआ -को आरंभ किया गया जिसमें चतुर्विध तिलाज्यसमिद्चरु द्रव्य सहित ग्रहयाग तथा एकषष्ट्युत्तरशतधा विभाग पक्षाश्रयेण महारूद्र स्वाहाकार विधि से-219131, दो लाख उन्नीस हजार एक सौ इकत्तीस आहुति देकर आशुतोष उमारमण जगद्बीज ऊंकार स्वरूप पंचवक्त्र महारूद्र महामृत्युंजय दक्षेश्वर रामेश्वर श्री आंबेश्वर महादेव जी को अर्पण की गयी जिसमें विभिन्न प्रदेशों से आए आचार्य जी सहित 31घनपाठी वेदपाठी ब्राह्मणों में ने सहभाग किया,l

महारूद्र यज्ञ का आचार्यत्व राजस्थान प्रदेश के विद्वान आचार्य श्री प्रफुल्ल भाई दवे जी ने किया तथा यज्ञ में रमेश भाई गौड ब्रह्मा,भारत भूषण उपाचार्य,भुवन पनेरू सदस्य और नवीन पोखरिया गाणपत्य, पद पर सहयोग किए ।
यज्ञ के मुख्य जजमान आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी जी के कृपापात्र शिष्य श्री राजन भाई जी सपरिवार तथा समस्त गुरू भक्तों के साथ नित्य प्रतिवर्ष होने वाले 35वे महारूद्र यज्ञ में मुख्य जजमान की भूमिका निभाते हुए आ रहे हैं जजमान प्रतिनिधि तुलसी प्रसाद भट्ट जी रहे,पूज्य महामण्डलेश्वर ब्रह्मलीन स्वामी राजेश्वरानंद भारती जी महाराज का संपूर्ण जीवन सनातन धर्म की सेवा करने में तथा यज्ञ यागादि विधि करने में ही व्यतीत हुआ l

उन्होंने यज्ञों की श्रृंखला में इसी आश्रम में सोमयाग,अतिरूद्र यज्ञ, शतचंडी सहस्रचंडी यज्ञ तथा अनेकों महारूद्र यज्ञों की श्रृंखला आरंभ की उनके ही पद चिन्हों पर चल रहे आश्रम के परमाध्यक्ष श्री गुरूजी राजन भाई जी के कुशल मार्गदर्शन में सभी गुरू भक्त निरंतर यज्ञों को करते आ रहे हैं, जिसमें पर्यावरण संरक्षण तथा अलौकिक देव शक्तियों को पुष्ट करते हुए यज्ञाद् भवति पर्जन्य इस भाव से यदि यज्ञ करते रहेंगे तो अच्छी वृष्टि होगी तो शुद्ध अन्न फल शाकादि की व्यवस्था बनी रहेगी समस्त प्रजा सुखी संपन्न समृद्ध रहेगी।।

राष्ट्र विप्लव भूकम्प महामारी आदि प्राकृतिक विपदाओं से यज्ञ नारायण तथा महारूद्र महामृत्युंजय आंबेश्वर महादेव समस्त भूमण्डल की रक्षा करेंगे ऐसी भावना से ओत-प्रोत होकर बहुत ही हर्षोल्लास से प्रतिवर्ष आश्रम में महारूद्र यज्ञ हो रहा हैं।। हरिद्वार आश्रम में अतिरूद्र यज्ञ से शुरूआत हुई उसके बाद प्रति वर्ष महारूद्र यज्ञ हो रहे हैं इस वर्ष 35वां महारूद्र यज्ञ संपन्न हुआ।
