मनुष्य को दूसरों के प्रति सकारात्मक और धार्मिक व नैतिक मूल्यों का पालन करने वाला होना चाहिए: श्री बाबूराम शर्मा:श्री बाबूराम शर्मा

कमल शर्मा (हरिहर समाचार)

हरिद्वार, कनखल सन्यास मार्ग स्थित हरिगिरि निरंजन आश्रम में आज जम्मू से बाबूराम शर्मा जी पधारे l शर्मा जी सरल विचारों वाले गुरू जी के अनन्य भक्त हैं आज शिष्टाचार भेंट के दौरान जीवन के सार और बहुत से महतपुर्ण विषयों पर चर्चा हुई l आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति के लिए उसके जीवन के उद्देश्य, संघर्षों को पार करते हुए खुशी और संतोष पाना, दूसरों के प्रति सकारात्मक प्रभाव डालना, और धार्मिक व नैतिक मूल्यों का पालन करना होना चाहिएl जीवन का सार दूसरों की मदद करने, कर्तव्यों का पालन करने, और हर पल का आनंद लेने में भी है। इसका कोई एक निश्चित उत्तर नहीं है, बल्कि यह कई अनुभवों और दृष्टिकोणों का मिश्रण है।

आध्यात्मिक जीवन जन्म, जरा और मृत्यु भौतिक शरीर को सताते हैं, आध्यात्मिक शरीर को नहीं। आध्यात्मिक शरीर के लिए जन्म, जरा और मृत्यु एक प्राकृतिक क्रिया है, जो ब्रह्मांड के लिए या विश्व के लिए नियति है। आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त व्यक्ति ईश्वरीय शक्ति संपन्न बन जाता है।

भारतीय धर्म और दर्शन में, कर्म , वह सार्वभौमिक कारण-कार्य नियम है जिसके द्वारा अच्छे या बुरे कर्म व्यक्ति के भविष्य के अस्तित्व के स्वरूप को निर्धारित करते हैं। कर्म पुनर्जन्म की प्रक्रिया के नैतिक आयाम का प्रतिनिधित्व करता है। जिसमें विश्वास आम तौर पर भारत की धार्मिक परंपराओं में साझा किया जाता है


सत्य और धर्म
 मनुष्य के स्वाभाविक गुण हैं। सत्य और धर्म का पोषण और अभ्यास करके, व्यक्ति को स्वयं आनंद प्राप्त करना चाहिए और उसे संसार में बाँटना चाहिए

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